देश के 8 मशहुर पत्रकार एक बार फिर ट्विटर पर ट्रोल हो गए!
दिल्ली: एक बार फिर ट्वीटर पर देश के 8 बड़े पत्रकार दीपक चौरसिया, चित्र त्रिपाठी, सैयद सोहेल, अजीत अंजुम, राशिद, अभियुक्त राज, सुनील दत, ललित के खिलाफ मामला गरमाया रहा। ट्विटर पर #क्या_है _पूरा_मामल ट्रेंड करता रहा
मामला वर्ष 2013 के गुरुग्राम का है, यहां वीडियो को तोड़मरोड़ कर नाबालिग का mms दिखाकर आशाराम बापू, नाबालिग लड़की व उन के परिवार को बदनाम करने के मामले में पोक्सो अधिनियम के तहत 8 पत्रकार के खिलाफ गुरुग्राम के न्यायालय में चल रहा है,इस मामले में दीपक चौरसिया के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुई, वर्तमान इस मामले में सभी के खिलाफ पुलिस के आधार पर चार्ज के आकार पर आरोप वारंट पर जांच जारी है।
गौरतलब है कि इन सभी के खिलाफ 2015 में गुरुग्राम पालम विहार थाने में एफआईआर नम्बर 147/2015 धारा 469,471,120B भारतीय दंड सहिता के तहत तथा 67 B आईटी एक्ट 13 पोक्सो एक्ट के अधीन दर्ज की गई थी. एक बार इस मामले ने तूल पकड़ ली है क्योंकि इसमें शामिल एक पत्रकार सय्यद सुहैल को, जानबूझकर मामले को टालने के आशय से आरोप तय पर बहस नही किए जाने पर कोर्ट ने 10 हजार रुपए का जुर्माना जो लगाया है.
दीपक चौरसिया वर्तमान जी न्यूज चैनल, चित्रा त्रिपाठी सीनियर एंकर आज तक चैनल, अजित अंजुम स्वंत्रत पत्रकार (youtube, पहले न्यूज़ 24 में एडिटर), राशिद, इंडिया न्यूज सीनियर एंकर, सैयद सोहेल, रिपब्लिक भारत चैनल, अभिनव राज प्रोड्यूसर, ललित सिंह सीनियर रिपोर्टर, राजस्थान जोधपुर, सुनील दत्त, राजस्थान चैनल के खिलाफ एक मामले में पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र को संज्ञान लेकर पॉक्सो कोर्ट ने ये सम्मान जारी किया गया था..
अक्सर न्यायालय में पेशी से बचते रहें हैं एंकर्स
इस मामले में बीते कई बार न्यायालय में पेशी से बचने का बहाना बनाया गया. दीपक चौरसिया के द्वारा कई बार बीमारी का बहाना गया,लेकिन 2 बार पीड़िता के वकील द्वारा विरोध किए जाने कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया,तथा चित्रा त्रिपाठी ने भी विदेश यात्रा का हवाला देकर न्यायालय में पेश नही हुई थी,जिसपर न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाकर भविष्य में विदेश जाने पर रोक लगा दी है. क्योंकि चित्रा त्रिपाठी अपनी निजी मामले को लेकर कोर्ट को बिना कारण बताए विदेश गई और न्यायालय को अवगत कराना भी उचित नही समझा.
क्या था पूरा मामला?
पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को आसाराम आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था. इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी. आसाराम बापू को बदनाम करने के लिए कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो को तोड़मरोड़ कर पेश किया, वीडियो एडिट कर ऐसे दिखाई गई कि आसाराम बापू बच्ची लड़की से अश्लील हरकत कर रहे है. वीडियो में यह दिखाने की कोशिश की गई कि बच्ची के परिवार के घर अश्लीलता का अड्डा है. जो कि बाद में पुलिस जांच में साबित हुआ कि टीवी चैनलों पर दिखाई गई वीडियो फर्जी व फेक थी. पीड़ित परिजनों का आरोप मामले को लेकर परिजनों का आरोप था कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया. इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ा. इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी.
जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर का क्या कहना?
पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटे जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार व अन्य हिन्दू संगठनों का कहना है कि इस केस में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के उद्देश्य से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी थी. बाद में जब इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाया गया तो उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कोर्ट की निगरानी के चलते पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा