न्यूज़ ब्रीफ

मतदाता पुनरीक्षण पर रिपोर्टिंग के चलते पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ एफआईआर, प्रशासन ने लगाया भ्रामक जानकारी फैलाने का आरोप

बिहार के बेगूसराय जिले के बलिया अनुमंडल में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर यूट्यूब पर प्रसारित एक रिपोर्ट के बाद वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह कार्रवाई 12 जुलाई 2025 को उनके यूट्यूब चैनल पर अपलोड की गई एक ग्राउंड रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को उजागर किया गया था।

क्या था वीडियो में

अजीत अंजुम द्वारा अपलोड की गई रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि बलिया प्रखंड के कुछ मतदान केंद्रों पर बिना आवश्यक दस्तावेजों और फ़ोटो के बड़ी संख्या में फॉर्म भरकर अपलोड किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में बीएलओ और पर्यवेक्षकों से की गई बातचीत भी शामिल है, जिसमें उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि कुछ फार्म अधूरे हैं और उनमें नाम, हस्ताक्षर या पहचान पत्र तक नहीं लगे हैं।

वीडियो में यह भी बताया गया कि “मुस्लिम बहुल” क्षेत्रों के कई मतदान केंद्रों पर 80% से अधिक लोगों ने दस्तावेजों के साथ फॉर्म भरे हैं, जबकि कुछ इलाकों में दस्तावेजों की गंभीर कमी देखी गई। रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

प्रशासन ने रिपोर्ट को बताया भ्रामक

बेगूसराय जिला प्रशासन ने इस वीडियो को “तथ्यहीन, भ्रामक और जनभावनाओं को भड़काने वाला” करार देते हुए कड़ी आपत्ति जताई है। प्रशासन की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पत्रकार अजीत अंजुम द्वारा रिपोर्टिंग के दौरान चुनाव से संबंधित संवेदनशील दस्तावेजों को बिना अनुमति सार्वजनिक किया गया, जिससे एक विशेष वर्ग के प्रति सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने का प्रयास हुआ।

प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में विदेशी नागरिकों जैसे बांग्लादेशी या रोहिंग्या को वोटर लिस्ट में शामिल बताए जाने के दावे पूरी तरह से निराधार हैं। इसके साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि बलिया क्षेत्र में इस रिपोर्ट के चलते कोई अप्रिय घटना घटती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अजीत अंजुम और उनकी टीम की होगी।

बीएलओ की शिकायत पर एफआईआर

बलिया क्षेत्र के बीएलओ मोहम्मद अंसारुलहक की शिकायत पर 13 जुलाई को स्थानीय थाना बलिया में अजीत अंजुम व उनके सहयोगियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। एफआईआर में सरकारी कार्य में बाधा डालने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और क्षेत्र में भ्रम फैलाने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि अजीत अंजुम ने लगभग एक घंटे तक कार्य में हस्तक्षेप किया, जिससे सरकारी प्रक्रिया बाधित हुई।

प्रशासन ने दी सफाई

प्रशासन ने साफ किया है कि साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र के 145 मतदान केंद्रों पर 72% से अधिक संशोधन फॉर्म वापस लिए जा चुके हैं और पुनरीक्षण की पूरी प्रक्रिया चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत पारदर्शी तरीके से की जा रही है।

पत्रकारिता बनाम प्रशासनिक नियंत्रण?

यह मामला एक बार फिर उस बहस को हवा देता है, जिसमें पत्रकारिता की स्वतंत्रता और प्रशासनिक जवाबदेही के बीच संतुलन की आवश्यकता पर चर्चा होती रही है। एक तरफ जहां पत्रकार अजीत अंजुम की रिपोर्ट को जनहित में उठाए गए सवालों के रूप में देखा जा रहा है, वहीं प्रशासन इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास बता रहा है।

फिलहाल इस एफआईआर पर अजीत अंजुम या उनकी टीम की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।