अयोग्य सांसद शरद यादव से सरकारी बंगला खाली करने को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने मांगा जवाब
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह स्पष्ट करे कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव को सरकारी बंगला खाली करने के लिए मानवीय आधार पर कितना समय दिया जा सकता है।
शरद यादव का इस समय कई बीमारियों का इलाज चल रहा है। शीर्ष अदालत ने यादव से भी कहा कि उन्हें वचन देना होगा कि वह एक तय तिथि पर बंगला खाली कर देंगे।
केंद्र सरकार ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सरकारी आवासों की कमी है और केंद्रीय मंत्री पशुपति नाथ पासवान, यादव का बंगला खाली होने का इंतजार कर रहे हैं। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि हम मामले की राजनीति में नहीं जा रहे हैं लेकिन इस समस्या का समाधान मानवीय दृष्टिकोण से करने के बारे में विचार कर रहे हैं।
इससे पहले शरद यादव की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि यादव का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है और वह यह वचन देने के लिए तैयार हैं कि वह तब तक सरकारी बंगला खाली कर देंगे। बता दें कि शरद यादव जुलाई 2020 से 13 बार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं और उन्हें इस साल फरवरी में ही अस्पताल से छुट्टी मिली थी।
शरद यादव ने अपना सरकारी बंगला 15 दिन में खाली करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने 2017 में राज्यसभा सांसद के लिए अयोग्य ठहराए जाने के आधार पर उन्हें बंगला खाली करने को कहा था। हाईकोर्ट ने अपने 15 मार्च के आदेश में कहा था कि सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए गए चार साल से अधिक हो गया है।
हाईकोर्ट ने अपने 15 मार्च के आदेश में कहा था कि सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए गए चार साल से अधिक हो गया है। ऐसे में उन्हें 15 दिन के अंदर 7, तुगलक रोड स्थित बंगला सरकार को सौंप देना चाहिए।
बता दे कि शरद यादव को राज्यसभा से अयोग्य करार दिया गया है. अयोग्यता से संबंधित उनकी रिट याचिका अधिनिर्णय के लिए लंबित है. जैन ने कहा कि शरद यादव ने अब बंगले को अपने पास रखने के लिए राष्ट्रीय जनता दल में अपनी पार्टी का विलय कर दिया है. पीठ ने जैन से कहा कि वो केंद्र सरकार से ये निर्देश लेकर आएं कि शरद यादव को मानवता के आधार पर कितना समय दिया जा सकता है. इसके साथ ही उसने मामले की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी.