दिल्ली एनसीआर में बड़ी छापेमारी,54 बड़ी कम्पनियां पकड़ी गई
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पंजीकृत 54 फर्जी फर्मों को चलाने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस रैकेट ने 611 करोड़ रुपये के नकली चालान के खेल को अंजाम दिया।
सभी कंपनियां नकली चालान और सर्कुलर ट्रेडिंग का काम कर रही थी। छापेमारी के दौरान विभिन्न फर्मों की रबर स्टैंप और लेटर हेड, मोबाइल फोन, लैपटॉप सहित भारी मात्रा में आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं। टीम ने इसे जब्त कर लिया है।
इस मामले में गिरोह के मास्टरमाइंड सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसकी पहचान अंकित गुप्ता, रबीन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह के रूप में हुई है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अब तक इन लेन-देन की प्रारंभिक जांच में करीब 611 करोड़ रुपये के फर्जी चालान और 38.5 करोड़ रुपए से अधिक की कर चोरी का खुलासा हुआ है। कार्टेल के सदस्यों ने अपने इकबालिया बयानों में इन फर्जी फर्मों के प्रबंधन में अपनी भूमिका स्वीकार की है। इन फर्जी फर्मों को चलाने वाले लोगों ने सरकार को धोखा देने की साजिश रची और सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 132 (1) (बी) और 132 (1) (सी) के तहत निर्दिष्ट अपराध किए, जो संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक गिरोह के तीन प्रमुख व्यक्ति इन फर्जी फर्मों के मास्टरमाइंड हैं, जिनकी पहचान अंकित गुप्ता, और उनके दो सहयोगी रबीन्द्र सिंह और राजेंद्र सिंह के रूप में हुई है। तीनों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपियों को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
बता दें कि इस कार्रवाई को दिल्ली दक्षिण सीजीएसटी आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों के द्वारा की गई है। विभाग को कुछ फर्जी फर्मों के संबंध में एक विशिष्ट खुफिया जानकारी प्राप्त हुई थी, जो पूरी तरह से नकली चालान के माध्यम से अपात्र इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक बाकी कंपनियों की गहराई से जांच की जा रही है। साथ ही इन संदिध कंपनियों से जुड़ी कनेक्शन को खंगाला जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में बहुत जल्द और भी कंपनियां पकड़ी जाएगी।