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कोर्ट से चित्रा त्रिपाठी को फिर झटका, व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट की याचिका खारिज

गुरुग्राम जिला अदालत ने प्रसिद्ध न्यूज एंकर और एबीपी न्यूज की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (समाचार) चित्रा त्रिपाठी की व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट की मांग संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है।

पिछली सुनवाई में आरोपी चित्रा त्रिपाठी की ओर से उनके अधिवक्ता ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 228 के तहत आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें पेशेवर प्रतिबद्धताओं के आधार पर कोर्ट में हर पेशी पर उपस्थित होने से छूट मांगी गई थी।

आवेदन में कहा गया था कि चित्रा त्रिपाठी एबीपी न्यूज की वरिष्ठ एंकर हैं और उन्हें दैनिक प्राइम टाइम बुलेटिन की एंकरिंग, शेड्यूलिंग, मीटिंग्स, राजनीतिक साक्षात्कार और ग्राउंड रिपोर्टिंग जैसी जिम्मेदारियाँ निभानी होती हैं। इसके अलावा वह नोएडा सेक्टर-74 की निवासी हैं और न्याय से भागने की कोई संभावना नहीं है।

इस पर राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्र ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि किसी आरोपी को महज उसके पेशेवर कद या मीडिया से जुड़े होने के आधार पर व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट नहीं दी जा सकती। यदि ऐसा किया जाता है तो फिर सभी आरोपियों को इसी आधार पर छूट दी जानी चाहिए, जबकि कानून की दृष्टि में सभी आरोपी समान होते हैं।

कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि वर्तमान केस के सभी आरोपी मीडिया जगत से संबंधित हैं, जिनमें कुछ वरिष्ठ समाचार एंकर भी हैं। ऐसे में चित्रा त्रिपाठी को केवल एक उच्च पदस्थ मीडियाकर्मी होने के आधार पर छूट देना न्यायोचित नहीं होगा।

कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि आरोपी चित्रा त्रिपाठी और मोहम्मद सोहेल पूर्व में एक बार कोर्ट से अनुपस्थित रहे थे, जिस कारण उनकी जमानत रद्द कर दी गई थी और गैर-जमानती वारंट जारी हुए थे। इसके बाद दोनों ने अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था, जहां से राहत मिली थी, परंतु वहीं पर दोनों ने अपनी उपस्थिति से स्थायी छूट की मांग वाली याचिका वापस ले ली थी।

कोर्ट ने कहा कि एक बार उच्च न्यायालय से यही राहत मांग कर उसे वापस ले चुके आरोपी अब वही छूट दोबारा इस अदालत से नहीं मांग सकते। अतः इस आधार पर भी वर्तमान याचिका को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

अंततः अदालत ने कहा कि आरोपियों के बीच उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। अतः आरोपी की याचिका में कोई दम नहीं पाया गया और उसे खारिज किया गया।

सुनवाई के दौरान मामले से जुड़ी एक सीडी पुलिस अधिकारी द्वारा अदालत में प्रस्तुत की गई, जो वर्तमान में मालखाने में जमा है। अब मामले में अगली सुनवाई 3 मई 2025 को निर्धारित की गई है, जिसमें शिकायतकर्ता का बयान दर्ज किया जाएगा।

साथ ही, अन्य आरोपियों ललित सिंह बडगुज्जर और सुनील दत्त वशिष्ठ द्वारा प्रस्तुत व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट की याचिकाएं भी सुनवाई के दौरान वापस ले ली गईं, जिसे अदालत ने उनके बयान के आधार पर खारिज कर दिया।