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जन जागरण मंच ने प्रधानमंत्री को सौंपा ज्ञापन,भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित करने की माँग, पीएमओ कार्यालय ने ज्ञापन को किया रजिस्टर्ड

सामाजिक एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर सक्रिय संगठन जन जागरण मंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए भारत को संवैधानिक रूप से “हिंदू राष्ट्र” घोषित करने तथा हिंदू समाज, संस्कृति और परंपराओं की सुरक्षा हेतु ठोस कदम उठाने की माँग की है।

यह ज्ञापन 3 दिसंबर 2025 को प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रस्तुत किया गया, जिस पर 5 दिसंबर को PMO द्वारा रजिस्टर्ड कर आधिकारिक डायरी नंबर जारी कर इसे संबंधित विभाग को भेज दिया गया।

ज्ञापन में तर्क दिया गया है कि जैसे—ईरान इस्लामिक गणराज्य है,सऊदी अरब शरीया आधारित शासन चलाता है,वेटिकन सिटी पूर्ण ईसाई राष्ट्र है,पोलैंड, इटली जैसे देश क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक मॉडल अपनाते हैं, उसी प्रकार भारत में 85% से अधिक नागरिक हिंदू परंपरा का पालन करते हैं, इसलिए भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना लोकतांत्रिक रूप से स्वाभाविक एवं उचित कदम है।

ज्ञापन में कहा गया कि भारतीय संविधान की मूल भावनासहिष्णुता, समानता,सामाजिक न्याय,अहिंसा—ये सभी सिद्धांत सीधे-सीधे हिंदू दर्शन से प्रेरित हैं।सेक्युलर’ का अर्थ धर्मविहीनता नहीं, बल्कि सभी धर्मों का समान सम्मान है। संगठन ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति का आधार हिंदू धर्म है और संविधान का चरित्र भी उन्हीं मूल्यों पर आधारित है। मंच ने बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के आह्वान पर दिल्ली से वृंदावन तक निकाली जा रही 10 दिवसीय पदयात्रा का भी उल्लेख किया। ज्ञापन के अनुसार, लाखों संतों और श्रद्धालुओं की सहभागिता इस बात का संकेत है कि देश अपनी संस्कृति की सुरक्षा और पुनर्स्थापना को लेकर जाग चुका है।

ज्ञापन में कहा गया कि गौ माता भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। यदि भारत हिंदू राष्ट्र घोषित होता है, तो गौ–रक्षा धार्मिक भावना नहीं, बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी बन जाएगी। संगठन ने आरोप लगाया कि कई राज्यों में गौ-रक्षा संबंधी कानूनों का पालन अभी भी कमजोर है।जन जागरण मंच ने धर्मांतरण को भारत की सांस्कृतिक एकता पर “सबसे बड़ा संकट” बताते हुए कहा— देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों में जनसंख्या संरचना तेजी से बदल रही है।संगठन के अनुसार विदेशी फंडिंग और मिशनरी नेटवर्क के कारण यह स्थिति भविष्य में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकती है

ज्ञापन में स्पष्ट किया गया कि हिंदू राष्ट्र का उद्देश्य किसी समुदाय का निष्कासन नहीं,धार्मिक पक्षपात नहीं बल्कि—राष्ट्र के सांस्कृतिक चरित्र को सनातन मूल्यों पर आधारित करना है। जैसे इस्लामिक और क्रिश्चियन देशों में हिंदू समान अधिकारों के साथ रहते हैं,उसी प्रकार भारत में भी मुसलमान, ईसाई और सभी समुदायों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे।ज्ञापन के अंत में संगठन ने कहा कि दुनिया के सभी देश अपनी सांस्कृतिक पहचान पर गर्व कर रहे हैं, ऐसे में भारत को भी अपने मूल स्वरूप को पुनः स्थापित करना चाहिए। संगठन का दावा है कि हिंदू राष्ट्र घोषित होने से न किसी धर्म का नुकसान होगा, न किसी समुदाय के अधिकार कम होंगे, बल्कि राष्ट्र की नैतिक संरचना मजबूत होगी और भारत पुनः विश्वगुरु बनने की दिशा में आगे बढ़े।