लाल किला से pm मोदीजी का एतिहासिक प्रण

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लाल किले की प्राचीर से देश को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देने के दौरान अपने भाषण में आने वाले 25 सालों में भारत कैसे विकसित होगा, इसके लिए भारत 5 प्रण दिलाए। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को जन आंदोलन कहा। साथ ही ‘जय जवान’ को नया आयाम देते हुए ‘जय अनुसंधान’ का नारा दिया। उन्होंने भाई भतीजावाद पर चोट करते हुए परिवारवाद को राष्ट्र के लिए घातक कहा।
भाई-भतीजावाद, परिवारवाद पर निशाना
पीएम मोदी अपने भाषण में भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाई-भतीजावाद पर भी निशाना साधा और इसे देश की दो सबसे बड़ी चुनौती कहा। उन्होंने कहा कि जब वह इन मुद्दों पर बात करतें हैं तो लगता है कि राजनीति पर बोला जा रहा है, पर सच्चाई यह है कि हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया गया है। जब तक भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होता होता, सामाजिक रूप से उसे नीचा देखने के लिए मजबूर नहीं करते, तब तक ये मानसिकता खत्म नहीं होने वाली है।

पीएम मे परिवारवाद को राष्ट्र के लिए घातक कहा। वह बोले, “भाई-भतीजावाद के खिलाफ नफरत पैदा करनी होगी। परिवारवादी राजनीति परिवार की भलाई के लिए होती है, देश के लिए नहीं। आइए, हिंदुस्तान की राजनीति व सभी संस्थाओं के शुद्धिकरण के लिए इससे मुक्ति दिलाकर आगे बढ़ें।”

अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि सबसे पहले लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान-जय किसान’ का मंत्र देश को दिया, जो आज भी देश के लिए प्रेरणा है। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने उसमें ‘जय विज्ञान’ को जोड़ा और अब वह इसमें ‘जय अनुसंधान’ को जोड़ रहे हैं। पीएम के भाषण में नारी शक्ति का भी जिक्र आया जब उन्होंने कहा, “हम महिलाओं और बेटियों को जितना अधिक अवसर देंगे, उनके योगदान से हमें उतना ही अधिक लाभ मिलेगा।”

रिसर्च में देंगे हर संभव मदद: PM मोदी
उन्होंने आत्मनिर्भर भारत को हर नागरिक, हर सरकार, हर ईकाई का दायित्व बताया। उन्होंने कहा ये सरकारी कार्यक्रम नहीं जनआंदोलन है जिसे आगे बढ़ाते जाना है। इसके अलावा देश को अपनी विरासत पर गर्व करना होगा। सरकार का प्रयास है कि देश के युवाओं को असीम अंतरिक्ष से लेकर समुंदर की गहराई तक रिसर्च में मदद मिले, इसलिए डीप ओशियन मिशन और स्पेस मिशन का विस्तार हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा हम अमृत काल में कदम रख रहे हैं और इस मौके पर ‘पंच प्रण’ का संकल्‍प लेते हैं। उन्होंने कहा, “अब देश बड़े संकल्प लेकर चलेगा, और वो बड़ा संकल्प है विकसित भारत और उससे कुछ कम नहीं होना चाहिए। दूसरा प्रण है किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर अगर गुलामी का एक भी अंश हो उसे किसी भी हालत में बचने नहीं देना। तीसरी प्रण शक्ति- हमें अपनी विरासत पर गर्व होना चाहिए। चौथा प्रण है- एकता और एकजुटता। 5वाँ प्रण- नागरिकों का कर्तव्य।”