11 साल बाद नारायण साईं को अपने पिता बापू आसारामजी से मिलने की अनुमति,गुजरात हाईकोर्ट ने किया आदेश जारी
दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने नारायण साईं को अपने पिता आसाराम से 11 साल बाद मिलने की अनुमति दी है। यह मुलाकात चार घंटे की अवधि के लिए होगी और जोधपुर जेल में आयोजित की जाएगी, जहां आसाराम बंद हैं। नारायण साईं ने अपने पिता की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए 30 दिनों की अस्थायी जमानत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें अस्थायी जमानत देने के बजाय यह विशेष अनुमति दी है। कोर्ट के इस निर्णय को मानवीय दृष्टिकोण और पारिवारिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है
नारायण साईं ने अपने पिता की खराब स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अस्थायी जमानत के लिए याचिका दायर की थी। उनके वकीलों ने तर्क दिया कि आसाराम की आयु 86 वर्ष है और वे कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिनमें दिल की बीमारी, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य जानलेवा बीमारियां शामिल हैं। जेल में रहते हुए आसाराम की स्थिति गंभीर होती जा रही है और वे कई बार दिल के दौरे का शिकार हो चुके हैं। हाल ही में, उन्हें जोधपुर के एम्स और एक आयुर्वेदिक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ। ऐसे में नारायण साईं का अपने पिता के साथ होना, उनकी देखरेख और बेहतर इलाज के लिए आवश्यक बताया गया।
कोर्ट में दलीले
नारायण साईं की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा, श्री जुबिन भारदा, श्री राजेन डी. जाधव और श्री नीरज देसवाल ने याचिका प्रस्तुत की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि आसाराम की चिकित्सा स्थिति अत्यधिक गंभीर है। उन्हें हृदय रोग की गंभीर समस्याएं हैं, जिनमें दो कोरोनरी धमनियों में 90% से अधिक ब्लॉकेज पाया गया है। इसके अलावा, उनके हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिर रहा है और वे कई अन्य जानलेवा बीमारियों से पीड़ित हैं। वकीलों ने यह भी कहा कि नारायण साईं, जो उनके इकलौते पुत्र हैं, पिछले 11 वर्षों से अपने पिता से नहीं मिल सके हैं और पिता की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उनसे मिलने की इजाजत दी जानी चाहिए।
सरकारी वकील की आपत्तियां
राज्य की ओर से विद्वान लोक अभियोजक श्री हार्दिक दवे ने इस आवेदन का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि आसाराम के पास बड़ी संख्या में अनुयायी हैं, जिनमें से कुछ आक्रामक हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि अतीत में आसाराम के अनुयायियों ने गवाहों पर हमले किए हैं, और अगर नारायण साईं को रिहा किया जाता है या उनसे मिलने की कोई तस्वीर मीडिया में आती है, तो अनुयायी एकत्रित हो सकते हैं, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
इसके अतिरिक्त, राज्य ने पुलिस महानिदेशक और अन्य अधिकारियों की सीलबंद गोपनीय रिपोर्ट भी प्रस्तुत की, जिसमें सुरक्षा संबंधी चिंताओं का उल्लेख किया गया था। सरकारी वकील ने यह भी कहा कि अगर अदालत नारायण साईं को मुलाकात की अनुमति देती है, तो उनके साथ उच्च स्तर की पुलिस सुरक्षा भी होनी चाहिए।
अदालत का निर्णय
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, गुजरात हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर फैसला लेते हुए नारायण साईं को अपने पिता से मिलने की अनुमति दी। हालांकि, अदालत ने अस्थायी जमानत देने के बजाय विशेष शर्तों के तहत मुलाकात का आदेश दिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि नारायण साईं को सूरत की लाजपुर सेंट्रल जेल से जोधपुर जेल, राजस्थान में लाया जाएगा, जहां आसाराम बंद हैं। यह यात्रा हवाई मार्ग से होगी और उनके साथ सहायक पुलिस आयुक्त, एक पुलिस निरीक्षक, दो हेड कांस्टेबल और दो कांस्टेबल सुरक्षा के लिए साथ रहेंगे। नारायण साईं को जोधपुर जेल में चार घंटे के लिए अपने पिता से मिलने की अनुमति दी जाएगी।
सुरक्षा प्रबंध और शर्तें
अदालत ने सुरक्षा को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं:
- मुलाकात के दौरान जेल परिसर में केवल नारायण साईं और उनके पिता बापू आसारामजी मौजूद रहेंगे। इस दौरान उनकी बहन, मां या किसी अन्य व्यक्ति को मौजूद रहने की अनुमति नहीं होगी।
- मुलाकात के चार घंटे पूरे होने के बाद नारायण साईं को तुरंत वापस सूरत जेल लाया जाएगा।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि मुलाकात के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, मुलाकात की तारीख और समय को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
- नारायण साईं को यह मुलाकात अपने खर्चे पर करनी होगी, जिसके लिए उन्हें 5 लाख रुपये सरकारी खजाने में जमा कराने होंगे। यह राशि सूरत के सचिन पुलिस स्टेशन में जमा की जाएगी।
- किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी तस्वीर या वीडियो मीडिया में लीक न हो।
कोर्ट का मानवीय दृष्टिकोण
अदालत ने यह आदेश मानवीय आधार पर दिया है, यह मानते हुए कि नारायण साईं को 11 वर्षों से अपने पिता से मिलने का अवसर नहीं मिला है। साथ ही, आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर है और उनके जीवन को खतरा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मुलाकात का उद्देश्य पिता और पुत्र के बीच पारिवारिक संबंधों का सम्मान करना है, न कि कानूनी या अन्य लाभ प्रदान करना।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि मुलाकात समाप्त होने के बाद नारायण साईं के पक्षों को मुलाकात की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आदेश का सही ढंग से पालन हुआ है। इसके अलावा, यह आदेश जेल प्राधिकरण को फैक्स और ईमेल द्वारा यथाशीघ्र भेजा जाएगा ताकि मुलाकात की व्यवस्था समय पर हो सके। इस निर्णय के तहत, कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया और प्रत्यक्ष सेवा की अनुमति दी।