समाचार चैनल के एंकर दीपक चौरसिया,अजीत अंजुम समेत 8 पत्रकारों पर पॉक्सो एक्ट समेत कई धाराओं में आरोप तय

गुरुग्राम: नाबालिग के वीडियो को तोड़-मरोडकर कर प्रसारित करने के मामले में गत शुक्रवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई के लिए दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी,समेत 8 आरोपी अदालत में पेश हुए। अदालत ने सभी आरोपियों पर विभिन्न अपराधिक धाराओं में आरोप तय किए हैं। इस मामले में अदालत आगामी 25 सितम्बर को सुनवाई करेगी। अदालत ने इस मामले में 8 आरोपी पत्रकार अजीत अंजुम, सैय्यद सोहेल, दीपक चौरसिया, राशिद, सुनील दत्त, ललित बडगुजर, चित्रा त्रिपाठी व अभिनव राज के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा 14(1), 23, आईटी एक्ट, 67 (बी), 120 (बी) तथा ipc की धारा 469 व 471 के तहत आरोप तय किए हैं। पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा व उनके सहयोगी श्री नीरज देशवाल,और प्रत्युष यादव के अनुसार पिछली कई तारीख से अदालत में आरोपियों पर आरोप तय करने की कार्यवाही चल रही थी। सभी पत्रकारों के वकीलों ने अपने दलीलों से भरसक प्रयास किया, कि आरोप बनता ही नही है। पीड़िता की ओर से श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने रिकॉर्ड के आधार पर जो तथ्य हैं, उन तथ्यों पर अपनी दलीले पेश करी। दोनो पक्षों की बहस सुनने व लिखित में बहस देने के बाद अदालत ने आरोप तय करने की कार्यवाही पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो गत 25 अगस्त को सुना दिया गया है। गौरतलब है कि 2 जुलाई 2013 को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आशाराम जी प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को तोड़मरोड़ कर प्रसारित किया,पीड़िता के परिवार के घर को अश्लील का अड्डा बताकर तथा शिकायत कर्ता को शिवा और उनकी पत्नी को शिल्पी बताकर चैनल पर प्रसारित किया था। परिजनों ने यह भी आरोप लगाए थे,कि उनकी व आशाराम बापू की छवि धूमिल करने के बेहद अभद्र,अर्मयादित शब्दों के साथ कौमेंट्री कर प्रसारित किया गया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। मामले में पुलिस का रवैया संदेहास्पद रहा, पुलिस द्वारा तीन बार मामले में अनट्रेस रिपोर्ट लगाने के बाद पीड़ित पक्ष के द्वारा चंडीगढ़ उच्च न्यायालय की ओर रुख करने पर, उच्च न्यायालय के आदेश पर पुलिस को इस मामले में पुनः अनुसंधान शुरू कर 2020 चार्ज शीट पेश करने के बाद सप्लीमेंट्री चार्ज शीट भी 2021 को पेश की गई। इस मामले की पैरवी शुरू से सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार व उनकी टीम करती आ रही है।