मनुष्य के लिए अमृततुल्य समान है गेहूँ के ज्वारे का रस

गेहूं के जवारे का रस सुपर डाइजेस्टबल होता है। ये पेट से जुड़ी किसी भी तरह की समस्याओं को दूर करने में इफेक्टिव होता है। इसके एंजाइम, अमीनो एसिड और विटामिन बी डाइजेशन से जुड़ी हर समस्या को खत्म करने में कारगर होते हैं। यही कारण है कि ये अल्सर, इरिटेबल इंटेस्टाइन सिंड्रोम में भी संजीवनी बूटी का काम करता है।

प्रकृति ने हमें स्वस्थ, ऊर्जावान, निरोगी और आयुष्मान रहने के लिए हमें अनेक प्रकार के पौष्टिक फल, फूल, मेवे, तरकारियां, जड़ी-बूटियां, मसाले, शहद और अन्य खाद्यान्न दिये हैं। ऐसा ही एक संजीवनी का बूटा है गेहूँ का ज्वारा। इसका वानस्पतिक नाम “ट्रिटिकम वेस्टिकम” है। डॉ॰ एन विग्मोर ज्वारे के रस को “हरित रक्त” कहती है। इसे गेहूँ का ज्वारा या घास कहना ठीक नहीं होगा। यह वास्तव में अंकुरित गेहूँ है।

गेहूँ का ज्वारा एक सजीव,  सुपाच्य, पौष्टिक  और  सम्पूर्ण आहार है। इसमें भरपूर  क्लोरोफिल,  किण्वक  (एंजाइम्), अमाइनो ,एसिड्स, शर्करा,  वसा,  विटामिन और खनिज होते हैं। क्लोरोफिल सूर्यप्रकाश का पहला उत्पाद है अतः इसमें सबसे ज्यादा सूर्य की ऊर्जा होती है और भरपूर ऑक्सीजन भी।

ऑक्सीजन को अनुसंधानकर्ता कैंसर कोशिकाओं को नेस्तनाबूत करने वाली 7.62×39 मि.मी. के लीबर की वो गोली मानते हैं, जो गेहूँ के ज्वारे रूपी ए.के. 47 बंदूक से निकल कर कैंसर कोशिकाओं को चुन-चुन कर मारती है। सर्व प्रथम तो इसमें भरपूर क्लोरोफिल होता है, जो शरीर को ऑक्सीजन से सराबोर कर देता है। क्लोरोफिल शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है, मतलब कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और ऑक्सीजन की उपस्थिति में कैंसर का दम घुटने लगता है।

गेहूँ का ज्वारों में विटामिन बी-17 या लेट्रियल और सेलेनियम दोनों होते हैं। ये दोनों ही शक्तिशाली कैंसररोधी है। क्लोरोफिल और सेलेनियम शरीर की रक्षा प्रणाली को शक्तिशाली बनाते हैं। गेहूँ का ज्वारा भी रक्त के समान हल्का क्षारीय द्रव्य है। कैंसर अम्लीय माध्यम में ही फलता फूलता है।

गेहूँ का ज्वारा में विटा-12 को मिला कर 13 विटामिन, कई खनिज जैसे सेलेनियम और 20 अमाइनो एसिड्स होते है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट किण्वक सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज और अन्य 30 किण्वक भी होते हैं। एस ओ डी सबसे खतरनाक फ्री-रेडिकल रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पिसीज को हाइड्रोजन परऑक्साइड (जिसमें कैंसर कोशिका का सफाया करने के लिए एक अतिरिक्त ऑक्सीजन का अणु होता है) और ऑक्सीजन के अणु में बदल देता है।

सन् 1938 में महान अनुसंधानकर्ता डॉ॰ पॉल गेरहार्ड सीजर, एम.डी. ने बताया था कि कैंसर का वास्तविक कारण श्वसन क्रिया में सहायक एंजाइम साइटोक्रोम ऑक्सीडेज का नष्ट होना है। सरल शब्दों में जब कोशिका में ऑक्सीजन उपलब्ध न हो या सामान्य श्वसन क्रिया बाधित हो जाये तभी कैंसर जन्म लेता है। ज्वारों में एक हार्मोन एब्सीसिक एसिड (ए बी ए) होता है जो हमें अन्यत्र कहीं नहीं मिलता है। डॉ॰ लिविंग्स्टन व्हीलर के अनुसार एब्सीसिक एसिड कोरियोनिक गोनेडोट्रोपिन हार्मोन को निष्क्रिय करता है और वे ए बी ए को कैंसर उपचार का महत्वपूर्ण पूरक तत्व मानती थी। डॉ॰ लिविंग्स्टन ने पता लगाया था कि कैंसर कोशिका कोरियोनिक गोनेडोट्रोपिन से मिलता जुलता हार्मोन बनाती हैं। उन्होंने यह भी पता लगाया था कि गेहूँ के ज्वारे को काटने के 4 घंटे बाद उसमें ए बी ए की मात्रा 40 गुना ज्यादा होती है। अतः उनके मतानुसार ज्वारे के रस को थोड़ा सा तुरंत और बचा हुआ 4 घंटे बाद पीना चाहिये।

गेहूँ के ज्वारे में अन्य हरी तरकारियों की तरह IQ ऑक्सीजन होती है। मस्तिष्क और संपूर्ण शरीर ऊर्जावान तथा स्वस्थ रखने के लिए भरपूर ऑक्सीजन आवश्यक है।

डॉ॰ बरनार्ड जेन्सन के अनुसार गेहूँ के ज्वारे का रस कुछ ही मिनटों में पच जाता है और इसके पाचन में बहुत कम ऊर्जा खर्च होती है। यह कीटाणुरोधी हैं, उन्हें नष्ट करता है और उनके विकास को बाधित करता है।

यह शरीर से हानिकारक पदार्थों (टॉक्सिन्स), भारी धातुओं और शरीर में जमा दवाओं के अवशेष का विसर्जन करता है।

यदि इसका सेवन 7-8 महीने तक किया जाये तो यह मुहाँसों और उनसे बने दाग, धब्बे और झाइयां सब साफ हो जाते हैं। तथा यह त्वचा के लिए प्राकृतिक साबुन का कार्य करता हैं और शरीर को दुर्गंध रहित रखता है।

यह दांतों को सड़न से बचाते है। यदि 5 मिनिट तक गेहूँ के ज्वारे का रस मुंह में तो दांत का दर्द ठीक करता है। इतना ही नही इसके गरारे करने से गले की खारिश ठीक हो जाती है।

गेहूँ के ज्वारे का रस नियमित पीने से एग्जीमा और सोरायसिस भी ठीक हो जाते हैं।

ज्वारे का रस पीने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते हैं।

ज्वारे का रस पीने से शरीर स्वस्थ, ऊर्जावान, सहनशील, आध्यात्मिक और प्रसन्नचित्त बना रहता है।

यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है। यह समस्त रक्त संबन्धी रोगों के लिए रामबाण औषधि है।

ज्वारे का रस का एनीमा लेने से आंतों और पेट के अंगों का शोधन होता है।

यह कब्ज को दूर कर आंतो को स्वस्थ रखता है। उच्च रक्तचाप कम करता है और केशिकाओं (Fine blood vessels or capillaries) का विस्तारण करता है।

यह स्थूलता या मोटापा कम करता है क्यों कि यह भूख कम करता है, बुनियादी चयापचय दर और शरीर में रक्त के संचार को बढ़ाता है।











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