आसारामजी बापू की जमानत याचिका खारिज होने से सामाजिक संगठन ने जताई नाराजगी

गुजरात हाईकोर्ट में आसारामजी बापू के जमानत पर सुनवाई के दौरान उनकी तरफ से दायर याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि आशारामजी बापू के देश मे लाखों करोड़ भक्त हैं उनके बाहर आने से लोग एकत्रित हो सकते है जिस से कोरोना संक्रमण फैलने का डर है, सरकारी पक्ष का यह भी दलील था कि आशारामजी बापू की तरफ से दायर पिटीशन में कोई नया आधार नही है जिसे देखकर उन्हें जमानत दिया जाए । जिस पर सामाजिक संस्था जागरण मंच ने सरकार के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा हमारे देश में दर्जनों हत्या, रेप के बड़े-बड़े अपराधीयों को कोरोना बीमारी से बचने के लिए पैरोल पर रिहा किया जा रहा कितने किया भी जा चुका है। लेकिन एक ऐसे संत जिन्होंने देश संस्कृति व समाज के सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। और लगातार 50 वर्षो से हिंदू धर्म के रक्षा करने वाले 85 वर्षिय वयोवृद्ध संत को बार-बार जमानत पैरोल खरिज किया जा रहा है यह कहकर कि उनके लाखों समर्थक हैं और बाहर आकर वह मुसीबत उत्पन्न कर सकते हैं।
देश में जिस प्रकार कानून का रवैया साधु-संतों के प्रति दिख रहा है बे बड़ा ही चिंताजनक है। मनु शर्मा जैसे अपराधी को भी बड़ा आसानी से जमानत मिल जाती है, यहाँ तक जेल में सजा काटने के दौरान भी दिन में जेल से बाहर रहने का परमिशन आसानी से मिल जाता है।
यूथ सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बम बम ठाकुर न्यायालय और सरकार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कोरोना फैलाने में अहम भूमिका निभाने में तबलीगी जमात के मुखिया के जिस वजह से देश भर में कोरोना मरीजों की संख्या काफी बढ़ गई लेकिन आज तक तबलीगी जमात के मुखिया मौलाना साद की गिरफ्तारी नही हुई और एक संत जो सदैव समाज की सेवा में लगे रहे हैं उन्हें उनके जीवन रक्षा के लिए भी नही छोड़ा जा रहा है जो कि उनकी मानवीय अधिकार है।
न्यायालय द्वारा बार बार उनका जमानत पैरोल खारिज करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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