बाबा रामदेव के बयान पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का पलटवार, नोटिस भेजने की कही बात
देहरादून (उत्तराखंड): ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने योग गुरु बाबा रामदेव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति अपने धर्माचार्य का सम्मान नहीं करता, क्या उसे हिंदू धर्म में रहने का अधिकार है? इस मुद्दे पर शंकराचार्य ने रामदेव को नोटिस भेजने की बात कही है।
मामले की शुरुआत:
12 नवंबर 2024 को ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया था। इसमें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भारत सरकार से अपील की थी कि जम्मू-कश्मीर में गोहत्या को दंडनीय अपराध बनाने वाले कानून को फिर से लागू किया जाए। पत्र में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद रणबीर दंड संहिता का प्रभाव समाप्त हो गया, जिसकी धारा 298-क के तहत गोहत्या पर 10 साल की सजा का प्रावधान था। अब इसके स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 लागू हो गई है, जिसमें ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
पत्र में केंद्र सरकार से मांग की गई कि रणबीर दंड संहिता की धारा 298-क जैसे प्रावधान भारतीय न्याय संहिता में जोड़े जाएं, ताकि गोहत्या को दंडनीय अपराध बनाया जा सके।
बाबा रामदेव का बयान:
इस पर बाबा रामदेव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “धर्म में शंकराचार्य की बड़ी प्रतिष्ठा है, लेकिन अगर शंकराचार्य यह कहें कि हम अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे, तो यह राष्ट्रघात और अधर्म है। ऐसे बयान पर उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए और उन्हें धर्म से बहिष्कृत कर देना चाहिए
शंकराचार्य की प्रतिक्रिया:
रामदेव के इस बयान पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “सनातन धर्म में धर्माचार्य का जो स्थान है, वह बाबा रामदेव को नहीं भूलना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति सर्वोच्च धर्माचार्य के खिलाफ इस प्रकार की बातें करता है, तो उसे हिंदू धर्म में रहने का अधिकार है या नहीं, इस पर विचार होना चाहिए।”
शंकराचार्य ने संकेत दिया है कि वह बाबा रामदेव को इस मामले में नोटिस भेजेंगे।