चित्रा त्रिपाठी समेत दो आरोपियों ने अग्रिम जमानत हेतु लगाई न्यायालय से गुहार
नाबालिग की विडियो को तोड़मरोड़कर कर प्रसारित मामले में पोक्सों जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई जिसपर मुलजिम चित्रा त्रिपाठी, राशिद और अभिनव राज की तरफ से उनके वकील ने अंतरिम जमानत पर बहस किया और दलीलें पेश करें कि मामला 2013 का है और पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ चालान पेश कर दिया है और इसके अलावा माननीय न्यायालय ने अजीत अंजुम को भी बेल पर रिहा किया हुआ है मामले में कोई भी संगीन धारा नहीं है और इसलिए मुलजिम को बेल दे दी जाए जबकि पीड़ित पक्ष की ओर से पेश वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने अपनी दलीलों में कहा कि मामला बड़ा ही संगीन है जिसमे उपरोक्त मुलजिम के खिलाफ चार्जशीट पेश कर रखी है इसके वाबजूद कोर्ट में पेश नही हुए है। सुप्रीम कोर्ट व उच्च न्यायालय के आदेशों लर केस को दर्ज कराया गया और पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस को चलान पेश करना पड़ा। जबकि इसके अलावा धर्मेंद्र मिश्रा की तरफ से यह दलील दी गई कि मामले में जोड़ी धाराएं देश के चौथा स्तंभ से संबंधित है और उन लोगों ने साजिश के तहत पत्रकारिता से अलग हटकर एक नाबालिक बच्ची का जानबूझकर चरित्र हनन करते हुए दिखाया गया जबकि मीडिया का यह कर्तव्य है कि वह सच्चाई को जांच रखकर ही लोगों के बीच सच्चाई प्रसारित करें जबकि इस केस में आरोपित मीडिया कर्मियों ने अपने नैतिकता व कानून का उल्लंघन किया जोकि अपराध के दायरे में पॉक्सो कानून के तहत संगीन जुर्म है इसके अलावा प्रीता पक्ष के वकील ने पुलिस के ऊपर भी मुलजिम ओं के साथ संलिप्तता होने का अंदेशा जताते हुए दलील पेश करें की 2013 से लेकर अब तक किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया जबकि पक्षों के मामले के अंतर्गत शिकायतकर्ता की शिकायत पर पुलिस पहले दोषियों को गिरफ्तार करती है उसके बाद अपनी जांच को पूरा कर आरोप पत्र दायर करती है जबकि इस केस से संबंधित इस आईटी टीम के जांच अधिकारी द्वारा मूल्य वीडियो को किसके द्वारा निज कर्मियों तक पहुंचाया गया इस तरह के अन्य सुने सवालों यह दर्शाते हैं कि पुलिस भी मुलाजिमों के खिलाफ शुरुआत से ही बचाने का प्रयास कर रही है इस प्रकार दलील पेश करते हुए धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने अग्रिम जमानत खारिज की मांग करते हुए न्यायालय में दोषियों को बुलाकर ट्रायल की प्रक्रिया को शुरू करने हेतु आग्रह किया गया। अदालत में दोनों पक्षों की दलील को सुनते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।