दीपक चौरसिया समेत सभी आरोपियों को बचाने हेतु, सबूत नष्ट करने के मामले में DCP वेस्ट को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का किया आदेश:
दिल्ली नाबालिका के वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित करने के मामले में गत दिवस को गुरुग्राम के पॉक्सो की अदालत में अजीत अंजुम सैयद सोहेल, चित्रा त्रिपाठी समेत सभी आरोपी पत्रकार अपने वकील के माध्यम से न्यायालय में हुए पेश। अभियोजन पक्ष ने कुछ गवाहों की गवाहियां भी कराई,लेकिन कुछ गवाह अदालत में पेश नही हुए।अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए अगली तारीख पर गवाहों के पेश होने के आदेश दिए हैं।
उक्त सभी पत्रकारों पर वर्ष 2013 में पालम विहार थाना में पॉक्सो एक्ट,आई टी एक्ट जैसे कई संगीन धाराओं में एफ.आई.आर दर्ज हुई थी। पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा व इस मामले की पैरवी कर रहे सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार के अनुसार इस मामले में 25 अगस्त 2022 को दीपक चौरसिया समेत सभी आरोपी पत्रकारों पर पॉक्सो एक्ट 14(1),23,आईटी एक्ट 67 B,469,471,120बी के तहत अपराध तय हो चुके हैं। वर्तमान मामले में आरोपियों को जल्द सजा हो,उसके लिए ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हैं। ट्रायल की प्रक्रिया में सरकारी गवाहों की गवाही के लिए कोर्ट ने बीते 16 अप्रैल को बेलेबल वारंट जारी कर,पेश होने का आदेश जारी किया था,लेकिन कोर्ट के आदेश के वाबजूद वे संबंधित अधिकारी पेश नही हुए। वे सरकारी गवाह जो गवाही हेतु कोर्ट में पेश नही हुए,उनके विरुद्ध कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर सुनिश्चित तारीख में पेश होने का आदेश किया है
मामले में SIT के अधिकारी के द्वारा कुछ ऐसे महत्पूर्ण दस्तावेज,जिसे जांच अधिकारी ने आरोपियों को बचाने के लिए रिकॉर्ड से गायब किया है। पीड़िता के वकील धर्मेंद्र मिश्रा ने उन जांच अधिकारीयों पर बार बार आरोप लगाकर,उन सभी पुलिस अधिकारीयों के विरुद्ध कार्यवाही के लिए एक अर्जी दायर की गई थी। जिसपर न्यायालय ने संबंधित अधिकारी को रिपोर्ट के साथ पेश होने का आदेश जारी किया था। लेकिन गत 6 जून को संबंधित पुलिस अधिकारी के पेश नही होने पर,न्यायालय ने DCP वेस्ट गुरुग्राम को व्यक्ति गत रूप से पेश होने का आदेश जारी किया है।
पुलिस पर है साक्ष्य मिटाने का आरोप:-
पीड़िता के वकील के अनुसार इस मामले में आरोपी पत्रकारों के द्वारा जानबूझकर ट्रायल को आगे बढ़ाने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। Sit के अधिकारियो के द्वारा क्लोजर रिपोर्ट में चैनल के निर्देशक के विरुद्ध कार्यवाही बंद की गई है,कार्यवाही किस आधार पर बंद की गई है,इस बारे में न्यायालय द्वारा दस्तावेज पेश करने के आदेश जारी किए जाने के वाबजूद,पुलिस उन दस्तावेजों को पेश करने में टालते हुए नजर आ रही हैं। जिसपर न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए सुनिश्चित सुनवाई में रिपोर्ट की मांग भी की गई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडकऱ अश्लील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। जिससे आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की पैरवी सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरी शंकर कुमार व उनकी टीम करती आ रही है।