दीपक चौरसिया के मामले में साक्ष्य मिटाने वाले पुलिस अधिकारीयों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का कोर्ट ने किया पुलिस कमिश्नर को आदेश

दिल्ली :नाबालिका के वीडियो को तोड़-मरोडकर प्रसारित करने के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश – अश्विनी कुमार मेहता की अदालत में गत दिवस सुनवाई हुई। जिसमे आरोपी प्रकार रिपब्लिक एंकर सैयद सोहेल अभिनव राज, एंकर राशिद हसमी ललित बडगुर्जर, सुनील दत्त अपने अधिवक्ताओं के साथ अदालत में पेश हुए।

2 आरोपी अजीत अंजुम, चित्रा त्रिपाठी के अधिवक्ताओं ने आवेदन कर उनकी हाजिरी माफी का आग्रह अदालत से किया,जो अदालत ने मान लिया। जबकि एक आरोपी को उच्च न्यायालय से हाजिरी माफी मिली हुई है। एसीपी की गवाही भी इस मामले में हुई। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए आगामी 12 जुलाई की तारीख निश्चित कर दी है। इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता धर्मेंद्र मिश्रा व सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछली तारीख पर अदालत में उनके द्वारा एक याचिका दायर की गई थी कि, इस मामले से संबंधित मूल शिकायत की प्रति को अदालत में पेश नहीं कर सकी है। इससे संबंधित उनके पास जो दस्तावेज हैं उन्हें अदालत में इस मामले में पेश करने की इजाजत दी जाए। अदालत ने आरोपियों के अधिवक्ताओं को निर्देश दिए कि इस याचिका पर वे अपना जबाव आगामी 12 जुलाई को अदालत में प्रस्तुत करें। पीड़ित पक्ष के वकील धर्मेंद्र मिश्रा का कहना है कि अदालत ने पिछली तारीख पर मूल शिकायत की प्रति न मिलने के कारण इस मामले से संबंधित डीसीपी को अदालत में पेश होने के आदेश दिए थे। लेकिन गत दिवस को कानून व्यवस्था में व्यस्तता के कारण उनकी ओर नियुक्त एसीपी नवीन शर्मा अदालत में पेश हुए और उन्होंने अदालत को बताया कि मूल शिकायत की प्रति का पता नहीं लगाया जा सका है। जिसपर अदालत ने इस पूरे मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के आदेश गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त को दिए हैं और अपने आदेश में कहा है कि उच्च समिति का गठन कर 2 माह के भीतर कार्यवाही कर इसकी जानकारी अदालत को भी दी जाए।

हरिशंकर कुमार का कहना है कि इस मामले से संबंधित टीवी चैनलों (इण्डिया  न्यूज,न्यूज24) के निर्देशको को पुलिस ने अंतिम जांच रिपोर्ट में नाम निकाल दिया था। और उससे संबंधित कोई दस्तावेज़ भी पेश नही किया गया। पीड़िता के वकील ने पुलिस की इस कार्यवाही का विरोध भी किया था। धर्मेंद्र मिश्रा के दलील पर अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पुलिस को आदेश दिए हैं कि अगली तारीख पर इस मामले में 2013 में चैनल के उन सभी निर्देशकों के बारे अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। जिसके आधार पर निर्देशकों,मालिकों, प्रकाशकों को पुलिस द्वारा छोड़ा गया है। अदालत के समक्ष पीड़िता के अधिवक्ता के द्वारा पुलिस पर यह आरोप लगाया गया है की 2013 में चैनल के उन निर्देशक ,जो 2013 में चैनल को संभाल रहे थे,उन निर्देशको, प्रकाशकों,मालिकों से सम्बन्धित सभी प्रासंगिकों दस्तावेजों को छुपाया गया है,जिसे अदालत ने उन सभी प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को एकत्र कर पुलिस पेश करने का आदेश जारी किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे।

बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडकर अश्लील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था।