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छांगुर बाबा का नेटवर्क जांच एजेंसियों के रडार पर, सरकारी महकमे तक फैला जाल

लखनऊ: ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन के खिलाफ जांच का दायरा और विस्तृत कर दिया है। छांगुर और उसकी गतिविधियों को लेकर अब जांच एजेंसी का फोकस न सिर्फ आर्थिक लेनदेन पर है, बल्कि उसकी मजबूत ‘सरकारी पकड़’ की दिशा में भी बढ़ चुका है।

ईडी सूत्रों के अनुसार, बाबा छांगुर और नसरीन से जुड़े करीब दो दर्जन से ज्यादा प्रभावशाली व्यक्तियों की जांच शुरू हो चुकी है, जिनमें न्यायिक, पुलिस, राजस्व और अन्य सरकारी विभागों से जुड़े अधिकारी भी शामिल हैं। इनसे संबंधित दस्तावेजों की एक अलग फाइल तैयार की गई है और इन सभी के बैंक खातों की निगरानी की जा रही है।

68 करोड़ से अधिक का ट्रांजैक्शन, विदेशों से पैसा आने के संकेत

अब तक की जांच में सामने आया है कि छांगुर और उसकी संस्थाओं के नाम पर संचालित 30 से अधिक बैंक खातों में करीब ₹68 करोड़ का संदिग्ध लेनदेन हुआ है। ईडी यह पता लगाने में जुटी है कि इन खातों में विदेशों से फंडिंग किस माध्यम से हुई और किस-किस खाते में धन भेजा गया।

सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले में नेपाल सीमा से जुड़े कुछ लोगों की भूमिका भी सामने आ रही है। नीतू की उनसे मुलाकातों के प्रमाण मिले हैं। बताया जा रहा है कि नेपाल सीमा से भारतीय रुपये में विदेशी मुद्रा बदलवाने के लिए यहां सामान्य दर से 2-3 प्रतिशत अधिक कमीशन दिया गया, जो इस नेटवर्क की गंभीरता को दर्शाता है।

जांच में सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि छांगुर की उतरौला स्थित कोठी को धर्मांतरण के अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। यहां पर कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को हिंदू लड़कियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनसे विवाह करने और फिर उनका धर्म बदलवाने की विशेष ट्रेनिंग दी जाती थी।

सूत्रों के अनुसार, ऐसे युवकों को मिशन में “सफल” होने पर लाखों रुपये का इनाम भी दिया जाता था। एटीएस (एंटी टेरर स्क्वाड) को इस बाबत कई प्रमाण मिले हैं, जिनकी पुष्टि एजेंसी कर रही है।

छांगुर का बयान: ‘मुझे भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना है’

ईडी और एटीएस की पूछताछ में छांगुर ने एक और चौंकाने वाली बात कबूल की है। उसके कथित बयान के अनुसार, “उसे ऊपर वाले ने भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के लिए भेजा है।” यह बयान एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।

छांगुर की कोठी पर हर दिन होने वाले “जलसों” में बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते थे, जहां कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार किया जाता था।

प्रवर्तन निदेशालय इस पूरे मामले में अगले चरण की बड़ी कार्रवाई की तैयारी में जुटी है। माना जा रहा है कि छांगुर और नीतू के साथ-साथ उनके ‘सरकारी’ नेटवर्क से जुड़े लोगों के खिलाफ जल्द ही छापेमारी या गिरफ्तारी की कार्रवाई हो सकती है।

इस पूरे प्रकरण ने न केवल वित्तीय अनियमितताओं की परतें खोली हैं, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नए किस्म के कट्टरपंथी नेटवर्क के संकेत भी दिए हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और भी गंभीर रूप ले सकता है।