हरियाणा में अदालतों की फैसले हिंदी में भी होंगे जारी..

हरियाणा सरकार ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि राज्य के सभी न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में ‘हिंदी’ का उपयोग किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 3 में संशोधन किया है । इस अधिनियम को अब हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 कहा जाता है। हरियाणा मंत्रिमंडल ने इससे पहले न्यायालयों में हिंदी भाषा की शुरुआत को मंजूरी दी थी। विधानसभा ने फैसले के कार्यान्वयन के लिए एक विधेयक पारित किया था। विधायकों, महाधिवक्ता और सैकड़ों अधिवक्ताओं ने अदालतों में इस्तेमाल के लिए हिंदी भाषा को अधिकृत करने में अपनी रुचि दिखाई थी, ताकि हरियाणा के नागरिक पूरी न्याय‌िक प्रक्रिया को समझ सकें। क्योंकि ऐसा होने पर वह भी आसानी से न्यायलयों में अपनी बात रख पाएंगे। हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 3 के बाद, निम्नलिखित अनुभाग शामिल किया जाएगा। हरियाणा में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अधीनस्थ सभी सिविल न्यायालय और आपराधिक न्यायालय, सभी राजस्व न्यायालय और रेंट ट्र‌िब्‍यूनल्स या राज्य सरकार द्वारा गठित अन्य न्यायालय या न्यायाधिकरण हिंदी भाषा में काम करेंगे। राज्य सरकार हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 के प्रारंभ होने के छह महीने के भीतर अपेक्षित बुनियादी ढांचा और कर्मचारियों को प्रशिक्षण पर सिविल कोर्ट’ और ‘क्रिमिनल कोर्ट’ शब्द वही होंगे, जिन्हें सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (1908 का केंद्रीय अधिनियम 5) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 (1974 का केंद्रीय अधिनियम 2) के तहत निर्धारित किया गया है।” हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 1969 की धारा 3 के अंतर्गत हरियाणा राज्य के सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली पहली भाषा होगा, अपवादित उद्देश्यों को छोड़कर, जिन्हें हारियाणा सरकार अधिसूचना के जर‌िए निर्दिष्ट कर सकती है और नियत दिन से पहले ऐसे अपवादित उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा को ऐसे उद्देश्यों के लिए आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। क्रिमिनल कोड के अनुसार राज्य उच्च न्यायालय को छोड़कर सभी अदालतों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को तय कर सकता है। न्यायिक कार्य में हिंदी का उपयोग करने के पक्ष में हरियाणा का तर्क यह है कि अधिकांश वादकर्ता अंग्रेजी नहीं समझ सकते हैं और वे न्यायिक कार्यवाही के दौरान मूकदर्शक बने रहते हैं, जो उनके हितों के लिए उचित नहीं है। एक देहाती हरियाणवी के रूप में (जहाँ शुद्ध हिंदी बोलना भी बड़ी मेहनत का काम है। ऐसे में हिंदी की प्राथमिकता होने से हरियाणा के लोगो के लिए न्यायलयों में अपने केसों को समझना आसान हो जाएगा

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