महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह का खून से राजतिलक,21 तोपों की सलामी
राजस्थान के उदयपुर में मेवाड़ राजवंश की 452 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए महाराणा प्रताप के वंशज और उदयपुर के पूर्व राज परिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के बेटे, विश्वराज सिंह मेवाड़ का भव्य राजतिलक किया गया। यह ऐतिहासिक रस्म चित्तौड़गढ़ दुर्ग स्थित फतह प्रकाश महल में संपन्न हुई।
परंपरा का निर्वहन
राजतिलक के दौरान सलूंबर रावत देवव्रत सिंह ने अपने खून से तिलक लगाकर विश्वराज सिंह को गद्दी पर बैठाया। इसके बाद 21 तोपों की सलामी दी गई। इस प्रतीकात्मक राजतिलक के साथ, विश्वराज सिंह को एकलिंग नाथ जी का 77वां दीवान घोषित किया गया।
ऐतिहासिक परंपरा का पुनः निर्वाह
इतिहासकारों के अनुसार, यह परंपरा 1572 में शुरू हुई थी, जब रावत किशन दास ने अपने खून से कुंवर प्रताप को मेवाड़ का महाराणा घोषित किया था। इस परंपरा को आज भी सलूंबर रावत के वंशज निभा रहे हैं।
धूणी दर्शन और विवाद
राजतिलक के बाद विश्वराज सिंह का सिटी पैलेस में धूणी दर्शन का कार्यक्रम तय किया गया था, लेकिन सिटी पैलेस पर वर्तमान में दिवंगत महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ का अधिकार है। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच संपत्ति विवाद को लेकर सिटी पैलेस के द्वार बंद कर दिए गए।
ट्रस्ट के बयान के अनुसार, विश्वराज सिंह ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं, और मंदिर व अन्य संपत्तियों में अनधिकृत प्रवेश पर रोक लगाई गई। स्थिति को देखते हुए पुलिस बल तैनात किया गया और प्रशासन ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू की।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
वर्तमान में विश्वराज सिंह नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जबकि उनकी पत्नी महिमा सिंह राजसमंद लोकसभा से सांसद हैं।
यह ऐतिहासिक आयोजन मेवाड़ राजवंश की समृद्ध परंपरा का सजीव उदाहरण है, लेकिन इससे जुड़े विवादों ने एक बार फिर परिवार के आंतरिक मतभेदों को उजागर कर दिया है।