ग्रामीण इलाकों के छोटे व्यपारियों पर पड़ेगी सरकार की मार
बम बम ठाकुर: क्या यही है मोदी जी का आत्म निर्भर भारत?
यह वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भारत में गरीब लोग पहले से ही बेरोजगारी, भुखमरी से परेशान हैं।
और मोदी जी को गरीबों की सहायता करने के बजाय उनको एक और झटका दे दिया है।
हम बात कर रहे है खाने के तेल का। हमारे सूत्रों से पता लगा है कि केंद्र सरकार अपने प्रिय मित्र बड़े उद्योगपति अदाणी के प्रेम जाल में फंस गए हैं और वह खाने के खुले तेल पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी में जुट गए हैं।
यह फैसला अगर पास हो जाएगा तो बड़े उद्योगपति जिनकी तेल की कंपनियां हैं, उन्हें गरीबों को लूटने का लाइसेंस मिल जाएगा।
छोटे छोटे गाँव पंचायत कस्बों में जो लोग छोटी छोटी तेल मिल लगाकर अपना घर बार चला रहे थे, वो लोग इस फैसले के बाद बर्बाद हो जाएंगे। और लाखों-लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
मैं चूंकि बिहार के एक गाँव का रहने वाला हूँ, मेरे गाँव से सटे एक छोटे शहर बेनीपट्टी में हम लोग पहले घर से सरसों, राई आदि लेकर जाते और तेल मिल से कुछ रुपये देकर उससे तेल निकालकर लाते थे।
लेकिन अब इस फैसले के बाद उनके गांव कस्बे में जो इस तरह अपने जीवन यापन कर रहे थे वे लोग अब सरकार की नजर में अपराधी घोषित कर दिए जाएंगे।
इस से खाद्य तेल कंपनियों का अनुमान है कि बाजार में करीब 40 प्रतिशत खाद्य तेल (लगभग 27 लाख टन ) खुला बिकता है।
अब इसको बैन कर देने से खाद्य तेल के बड़ी कंपनियों को एक साथ अरबों का बाजार मिल जाएगा।