एंकर दीपक चौरसिया को हाईकोर्ट से झटका लगने के बाद,18 अप्रैल को ट्रायल कोर्ट में होना होगा पेश

गुरुग्राम: नाबालिग के वीडियो को तोड़ मरोड़कर प्रसारित करने के मामले में दीपक चौरसिया को 18 अप्रैल को गुरुग्राम के ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होना होगा। बीते 20 मार्च को गुरुग्राम के पॉक्सो की अदालत ने दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी,अजीत अंजुम, सैयद सोहेल व अन्य सभी आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय पर बहस की प्रक्रिया में उपस्थित रहने का आदेश जारी किया था। इस प्रक्रिया से बचने के लिए चौरसिया ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पेशी से छूट,और FIR को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन गत 10 अप्रैल को zeenews के एंकर दीपक चौरसिया के विरुद्ध दर्ज F.I.R को रद्द करने तथा ट्रायल कोर्ट में पेशी से छूट की याचिका पर 6 जुलाई 2023 तक सुनवाई टल गई है। दीपक चौरसिया ने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय के समक्ष तीन याचिकाएं दायर की थी। जिसमें F.I.R को रद्द करने के साथ निचली अदालत में प्रक्रिया को स्थगित करने,तथा निचली कोर्ट में पेशी से छूट की मांग शामिल थी। चौरसिया के वकील त्वरित सुनवाई के लिए एप्लिकेशन के द्वारा गुहार लगाने के वाबजूद भी उच्च न्यायालय से कोई राहत नही मिली। आपको बता दें कि बीते 10 मार्च को भी याचिका पर सुनवाई करने से हाइकोर्ट ने इंकार कर दिया था। मामले की पैरवी करने वाले जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी याचिका पर बीते 10 मार्च को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दौरान सुनवाई नही होने के कारण न्यायालय ने 10 अप्रैल की तारीख निश्चित की थी।

गौरतलब है कि गत 29 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट में दीपक चौरसिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। जिसमे हरियाणा सरकार से दीपक चौरसिया की याचिका पर जवाब मांगा गया था। जिसमें गुरुग्राम पुलिस द्वारा चौरसिया के विरुद्ध 2015 में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। क्योंकि पत्रकार दीपक चौरसिया और उनके कुछ सहयोगी पत्रकारों पर 2013 में एक 10 वर्षीय बच्ची और उसके परिवार के संपादित‍ और अश्लील वीडियो प्रसारित करने और वीडियो को संत आशाराम बापू के मामले से जोड़ने का आरोप है। दीपक चौरसिया की ओर से दायर याचिका में यह कहा गया कि वह समाचार को प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे और उनकी भूमिका केवल निर्देश देने तक ही सीमित थी। याचिकाकर्ता चैनल के दिन-प्रतिदिन के मामलों में शामिल नहीं था और वीडियो के संपादन में भी शामिल नहीं था। दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं था कि याचिकाकर्ता की कोई भूमिका रही है। यह भी आरोप लगाया गया कि एफ.आई.आर दर्ज कराने वाला शिकायतकर्ता संत आसाराम बापू का भक्त है। और आशाराम बापू से संबंधित समाचार प्रसारित करने के बदले में एक उल्टे मकसद के साथ मामला दर्ज किया गया है। गुरुग्राम पुलिस की ओर से दाखिल किये गए जवाब में FIR को रद्द नही करने को लेकर कई तर्क दिये गए। फिलहाल याचिका पर सुनवाई टलने से एक बार फिर दीपक चौरसिया को निराशा हाथ लगी है। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम के पॉक्सो जिला अदालत में दीपक चौरसिया को बार बार पेशी की प्रक्रिया से गुजरना भी पड़ रहा है। इसी मामले में ट्रायल कोर्ट में आगामी 18 अप्रैल को चौरसिया सहित अन्य आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय पर बहस होनी है। इसी मामले में चौरसिया को न्यायालय में पेश नही होने पर 2 बार अरेस्ट वारंट जारी किए जाने पर पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए हाइकोर्ट जाना पड़ा। हाईकोर्ट से भी कुछ ज्यादा राहत नही मिली, बल्कि 2 लाख रुपए का जुर्माना भरने तथा सेसन कोर्ट में सरेंडर होकर जमानत की अर्जी लगाने के आदेश पर फिलहाल जमानत पर है।