बैक्सीन को लेकर केंद सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर,बैक्सीन लगाना बाध्य नही
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड 19 वैक्सीनेशन के गाइडलाइंस के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना उसकी सहमति से टीकाकरण की बात नहीं है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार का ऐसा कोई एसओपी नहीं है जिसमें किसी भी उद्देश्य या मकसद के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को अनिवार्य किया गया हो।
वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाने से छूट देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई
केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम इंडिया में है और कुल 1 अरब 52 करोड़ 95 लाख 43 हजार 602 डोज टीका 11 जनवरी 2022 तक दी जा चुकी है। देश के 90 .84 फीसदी जो योग्य आबादी हैं उन्हें वैक्सीन की पहली खुराक मिल चुकी है और ऐसे 61 फीसदी जनसंख्या को दूसरी डोज भी दी जा चुकी है। विकलांगों को वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाने से छूट देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि ऐसा कोई एसओपी नहीं है जिसके तहत टीकाकरण सर्टिफिकेट की अनिवार्यता किसी उद्देश्य के लिए की गई हो। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सरकार ने जो गाइडलाइंस जारी किए हैं। इसमें किसी भी व्यक्ति को उनकी सहमति के बिना जबरन वैक्सीनेशन की बात नहीं है।
कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता नहीं रखी गई है
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता नहीं रखी गई है। वैक्सीनेशन जनहित से जुड़ा मामला है और लोगों को जागरूक किया गया है कि वह वैक्सीन लें लेकिन इसकी भी उद्देश्य के लिए वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को अनिवार्य नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर विकलांगों को वैक्सीन की सहूलियत सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई गई थी इसी दौरान केद्र सरकार ने हलफनामा दायर किया है।