क्लोजर रिपोर्ट पर अदालत की मुहर: नारायण साईं केस में आसाराम बापू समेत चार आरोपियों पर से आरोप हटे, आशाराम बापू के खिलाफ केस बंद!

क्लोजर रिपोर्ट पर अदालत की मुहर: नारायण साईं केस में आसाराम बापू समेत चार आरोपियों पर से आरोप हटे, आशाराम बापू के खिलाफ केस बंद!

पानीपत की एक अदालत ने आसाराम बापू के पुत्र नारायण साईं से जुड़े एक पुराने आपराधिक मामले में पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि पुलिस जांच के आधार पर आरोपियों के विरुद्ध कोई अपराध सिद्ध नहीं होता, इसलिए मामला यहीं समाप्त किया जाता है।

अदालत ने माना कि इस प्रकरण में आसाराम बापू, राजेंद्र सिंह, कौशल ठाकुर उर्फ हनुमान, सुरेंद्र तथा राजेंद्र शर्मा के खिलाफ कोई आपराधिक कृत्य नहीं बनता। इसी के साथ उनके विरुद्ध चल रही न्यायिक कार्यवाही को समाप्त करने का आदेश दिया गया।  शिकायतकर्ता महेंद्र चावला की भूमिका पर गंभीर टिप्पणी की है। अदालत के अनुसार, पुलिस द्वारा 5 मार्च 2025 को पूरक चालान क्लोजर रिपोर्ट के साथ न्यायालय में पेश किया गया था, जिसकी प्रतियां पेन ड्राइव और दस्तावेजों सहित सभी आरोपियों को उपलब्ध कराई गईं। क्लोजर/रद्दीकरण रिपोर्ट की सूचना शिकायतकर्ता और कथित पीड़ित—दोनों को दी गई। इसके बावजूद शिकायतकर्ता महेंद्र चावला ने अदालत में बयान दिया कि वह पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है, लेकिन उसने न तो कोई विरोध याचिका (प्रोटेस्ट पिटीशन) दायर की और न ही जांच एजेंसी के निष्कर्षों से सहमति जताई। अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता कई अवसर मिलने के बावजूद निष्क्रिय रहा।अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता की इस निष्क्रियता के कारण न्यायिक कार्यवाही सामान्य से अधिक समय तक लंबित रही, जबकि मामला पहले ही लगभग दस वर्ष पुराना हो चुका है। अदालत के शब्दों में, बिना किसी ठोस कारण के लंबे समय तक मामला एक ही स्तर पर लटकाए रखना न्याय प्रक्रिया के साथ अनुचित है। न्यायालय ने इसे “जानबूझकर की गई देरी” करार देते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया किसी व्यक्ति की मनमर्जी पर नहीं चल सकती।

उल्लेखनीय है कि शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया था कि 13 मार्च 2015 को उसके भाई महिंदर चावला—जो आसाराम बापू और नारायण साईं मामलों में गवाह बताए गए—पर दो युवकों ने हमला किया, जिससे उन्हें चोटें आईं और अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अदालत ने संपूर्ण परिस्थितियों, पुलिस जांच और शिकायतकर्ता की भूमिका को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने का कोई आधार नहीं है। परिणामस्वरूप, क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करते हुए मामला बंद कर दिया गया।