वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित करने के मामले में अजीत अंजुम,सैयद सोहेल राशिद समेत 3 आरोपी के साथ जांच अधिकारी न्यायालय में हुए पेश।

नाबालिग की वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित करने के मामले में 23 सितंबर को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मति शशि चौहान के अदालत में हुए पेश।
इस मामले में 8 में से 6 आरोपी अजीत अंजुम,सैयद सोहेल, अभिनव राज,राशिद,सुनील दत, ललित सिंह त्रिपाठी,अदालत में पेश हुए। लेकिन आरोपी दीपक चौरसिया ने बीमारी का हवाला देकर तथा चित्रा त्रिपाठी ने विदेश यात्रा का हवाला देकर न्यायालय में पेश नही हुए। केस की पैरवी कर रहे जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त दोनों आरोपी के न्यायालय में पेश नही होने पर पीड़िता पक्ष के वकील श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने पूर जोर विरोध जताया और कहा की आरोपी जानबूझकर पेशी से बचने के लिए बहाने बना रहे जो स्वीकार नही किया जाना चाहिए। चित्रा त्रिपाठी जो निजी मामले को लेकर कोर्ट को बिना कारण बताए विदेश गई और न्यायालय को अवगत कराना भी उचित नही समझा इसलिए पेशी से छूट नही दिए जाने का आग्रह किया। जिसपर न्यायालय ने आरोपी दीपक चौरसिया के वकील की तरफ से मेडिकल दस्तावेज के आधार पर इस बार न्यायालय ने हाजिरी से छूट दी,वहीं चित्रा त्रिपाठी को भी पेशी से छूट दी गई । लेकिन उनके वकील को सख्त हिदायत देकर कहा की अपने निजी मामलो को लेकर भविष्य में देश से बाहर जाने पर न्यायालय को अवगत कराना और परमिशन लेना अनिवार्य होगा।

कोर्ट की कार्यवाही में आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय पर बहस की प्रक्रिया एक बार फिर टल गई। आरोपियों की तरफ से आरोप तय पर बहस करने से पहले गत 24 अगस्त को अर्जी लगाकर न्यायलय से पुलिस द्वारा फाइल की गई उस सीडी व डीवीडी की मांग की थी जिसको इस बार भी पुलिस ने अपने रिकॉर्ड में नही होने का कारण बताकर आरोपियों को मुहैया नही कराई गई । आरोपियों को सीडी मुहैया कराने के संदर्भ में जॉच अधिकारी ने न्यायालय के समक्ष प्रार्थनापत्र पेश कर न्यायालय के रिकॉर्ड से सीडी प्राप्त करने की प्रार्थना पत्र को न्यायालय ने स्वीकृति प्रदान की ताकि आरोपियों को सीडी मुहैया कराई जा सके।

गत 20 जुलाई को पीड़िता के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय से जॉच अधिकारी को उनके द्वारा फाइल की गई चार्जशीट की खामियों को दूर कर स्टेट्स रिपोर्ट के साथ पेश होने का आदेश दिया था। जिसपर जॉच अधिकारी पालम विहार थानाधिकारी प्रवीन कुमार न्यायालय में पेश होकर अपनी रिपोर्ट पेश किए। न्यायालय ने आगामी तारीख 28 अक्तूबर तय की है।

इस मामले की पैरवी कर रहे जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर का कहना है। कि अब कुछ उम्मीद बंधी है कि पीडि़ता को अदालत से न्याय मिल सकेगा। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद न्यूज़ 24,न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडक़र अश्लील अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। साथ ही पीड़िता व उनके परिवार को दलाल, लड़की सप्लायर बताकर साथ ही उनके घर को गुफा कांड, अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में 2013 में ज़ीरो FIR दर्ज कराई थी। ज़ीरो एफआईआर से पूर्ण एफआईआर दर्ज होने दो वर्ष लग गए उसके बाद भी पुलिस द्वारा 2 साल तक कार्यवाही नही कर मामले को बंद कर दी गई थी। इस मामले में आरोपियों को बचाने हेतु गुरूग्राम पुलिस द्वारा भरसक प्रयास की गई।

लेकिन जब यह मामला हाइकोर्ट पहुँची और हाइकोर्ट ने संज्ञान लेकर अपनी निगरानी रखते हुए पुलिस को आदेशित करने पर मजबूरन पुलिस को कार्यवाही हेतु बाध्य होना पड़ा। जिसके बाद दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी, अजित अंजुम आदि के विरुद्ध 2020-21 में दाखिल की गई चार्जशीट में विभिन्न धाराओं 120b,469, 471,आईटी एक्ट 67 b, पोक्सों एक्ट 13c,14(1) 180 के तहत 10 साल की बच्ची और उनके परिवार के ‘संपादित’ व ‘अश्लील’ वीडियो दिखाने, और उन्हें आसाराम बापू के यौन उत्पीड़न मामले से जोड़ने के लिए नामित किया गया. दाखिल की गई चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों को गिरफ्तार करने से “कानून व्यवस्था” बिगड़ सकती है.। जिस पोक्सों में पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी कर बाद में चार्जशीट पेश करनी चाहिए थी ऐसे मामले में पुलिस ने बगैर गिरफ्तार किये ही चार्जशीट पेश किया,जबकि दीपक चौरसिया ने पुलिस को जाँच में सहयोग भी नही किया है। वर्तमान में मामला न्यायालय में हैं आगे जो भी होगा वह न्यायालय तय करेगी, लेकिन 9 साल बाद अब पीड़िता परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।