आशाराम बापू के भक्तों ने किया स्कूलों में तुलसी पूजन जागरूकता अभियान

गुरुग्राम: भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जिसमें विभिन्न समुदाय के लोग अपने तीज-त्यौहार अपने- अपने तरीकों से मनाते आ रहे हैं। प्रकृति ने इंसान को बहुत कुछ दिया है। तुलसी के पौधे का धार्मिक रुप से भी बड़ा महत्व है। यह जहां औषधीय पौधा है, वहीं धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ा है। एक तरफ जहां 25 दिसंबर को क्रिसमस डे मनाते हैं। वहीं संत आशाराम बापू ने तुलसी पूजन की शुरुआत की और आज उनके भक्त पूरे देश में तुलसी पूजन के लिए लोगो को जागरूक कर रहे हैं की 25 दिसंबर को क्रिसमस डे नही तुलसी पूजन दिवस मनाएं।

बापू से प्रेरणा पाकर उनके अनुयायियों ने गुड़गांव के विभिन्न क्षेत्रों स्थित राजकीय व निजी स्कूलों में तुलसी पूजन जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र- छात्राओं को तुलसी की महत्ता को भी बताया गया और उन्हें तुलसी के फायदे भी बताए। सनातन धर्म में तुलसी को पूजनीय माना गया है और आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है। क्योंकि तुलसी औषधी का काम भी करती है। जिस घर में तुलसी का वास होता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी के पत्ते के बिना भगवान भी भोग स्वीकार नहीं करते। तथा बच्चों में यह भी सिखाया गया कि तुलसी की परिक्रमा करने से दरिद्रता का नाश होता है। जो बच्चे तुलसी के 5 पत्ते प्रतिदिन खाते हैं, उन बच्चों की बुद्धि प्रतिदिन खाते हैं, उन बच्चों की बुद्धि पौधा होता है, वहां हमेशा सुख-शांति भी कुशाग्र हो जाती है। तुलसी पूजन कार्यक्रम का जागरुकता अभियान गीता जयंती के पावन दिवस पर शुरु किया गया है। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण को भी तुलसी अत्यंत प्रिय है। इन अभियान को सफल बनाने में स्कूल के अभिवावक के साथ दयानंद,भारती अरोड़ा,प्रीति अरोड़ा आदि लोग आगे बढ़कर सहयोग कर रहे हैं