जन जागरण मंच ने किया 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की अपील

दिल्ली: एक ओर जहां 25 दिसंबर को “क्रिसमस डे” मनाते हैं, वहीं कुछ सालों से “तुलसी पूजन दिवस” मनाने की परंपरा भी जोर पकड़ने लगी है। कुछ सालों से अक्सर यह भी देखा जा रहा है कि कई सामाजिक संगठन 25 दिसंबर से पहले ही तुलसी पूजन की महत्ता बताकर लोगो में जागरूकता अभियान चलाने की मुहिम में जुट जाते हैं। जिसका परिणाम भी यह देखा जा रहा है कि एक ओर जहां क्रिसमस डे तो दूसरी ओर “तुलसी पूजन” मनाने की परंपरा भी जोर- शोर से गूंजने लगी है।

जन-जन में “तुलसी पूजन” की महता को लेकर हर साल की तरह इस बार भी सामाजिक संस्था “जन जागरण मंच” के कार्यकर्ता भी जोर-शोर से जुट गए हैं। संस्था के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार का कहना है कि देश के सभी सनातनियों को सावधान रहने की जरूरत है। और पश्चिमी सभ्यता को भारत देश से समाप्त करने की आवश्यकता है। क्योंकि देश में साजिश के तहत सनातन- संस्कृति को खंडित करने का प्रयास जोरो पर है। खास कर देश के उन साधु संतो को जो सनातन संस्कृति के रक्षक हैं उन्हे निशाना बनाकर सनातनियों के मन में अपने ही साधु संतो के प्रति आस्था विश्वास को खंडित करने के आशय से गंदे आरोप लगवाकर उन्हें बदनाम करने की प्रक्रिया आज भी जारी है। उसके वाबजूद भी संत अपनी संस्कृति को बचाने में हिचकते नही है। और उसी का एक उदाहरण है “संत आशारामजी बापू“जो तमाम आरोप झेलकर भी 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने की शुरुआत की। हरिशंकर ने यह भी कहा की तुलसी पूजन की व्यापकता को लेकर रोजाना स्कूलों में जाकर उन विधार्थीयों को जागरूक कर रहे हैं जो तुलसी पूजन जैसे पावन दिवस को महत्व न देकर प्लास्टिक के पौधे को महत्व देते है। शास्त्रों में वर्णन है की तुलसी के पूजन से दरिद्रता का नाश तथा तुलसी की मिट्टी का तिलक करने से भाग्य की रेखाएं बदलने में मदद मिलती है। इतना ही नही;तुलसी एक उत्कृष्ट औषधि भी है जो असंख्य बीमारियों को मिटाने में मददगार साबित हुई है। अतः हमे यह नही भूलना चाहिए कि हम अपनी परंपरा को छोड़कर पश्नमी सभ्यता को अपनाएं इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी। ताकि हमारे देश की भावी पीढ़ी निरोग रहे व मन मे प्रसन्नता लिए हुए विवेक को जागृत करके अपने राष्ट की बागडोर संभाल सके।