वीडियो को तोड़मरोड़कर प्रसारित करने के मामले में दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी,अजीतअंजुम,सैयद सोहेल समेत अन्य सभी के खिलाफ आरोप तय करने पर 4 फरवरी को होगी बहस:-

गुरुग्राम: नाबालिगा की वीडियो को तोड़मरोड़कर प्रसारित करने के मामले में आगामी 4 फरवरी को दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी, अजीत अंजुम, सैयद सोहेल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होंगे। जानकारी के मुताबिक गत 11 जनवरी को गुरुग्राम के पॉक्सो की अदालत में सभी आरोपियों की पेशी हुई। न्यायालय की कार्यवाही में पीड़िता के अधिवक्ता ने आरोप तय पर बहस करने पर जोर दिया। लेकिन आरोपियों की ओर अपने सीनियर अधिवक्ता की अनुपस्थिति का हवाला देकर समय की मांग की।

मामले पर सुनवाई करते हुए श्री मति शशि चौहान की अदालत में 4 फरवरी को आरोप तय करने पर बहस करने का लिया निर्णय
मामले की पैरवी कर रही सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार गत 16 दिसंबर को एस.आई.टी के जिन दो अधिकारियों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट हुआ था वे दोनो अधिकारी इंस्पेक्टर संजय व जितेंद्र कुमार अपनी स्टेटस रिपोर्ट के साथ न्यायालय में पेश हुए। दोनो अधिकारियों के पेश होने पर न्यायालय ने NBW से राहत तो दि लेकिन उन्हें दो हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ा।

पुलिस द्वारा अन्य आरोपियों को बचाने का प्रयास जारी:-

हरिशंकर ने बताया की SIT के अधिकारी द्वारा जो रिपोर्ट न्यायालय में पेश की गई उसमे एक बार फिर अन्य आरोपी कार्तिकेय शर्मा,अनुराधा प्रसाद, धीरज भटनागर आदि को बचाने का प्रयास किया गया। दरअसल अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा बंद किए जाने पर जांच अधिकारी से न्यायालय द्वारा दस्तावेज पेश करने कहा गया था। लेकिन इस बार भी पुलिस अपनी रिपोर्ट के साथ वह दस्तावेज पेश नही किये जिसके आधार पर अन्य आरोपियों को निर्दोष करार दिया है। SIT के अधिकारी की ओर से रिपोर्ट में यह बताया गया कि निर्दोष करार दिए गए अन्य आरोपियों के संबंध में दस्तावेज पहले ही चार्जशीट के साथ पेश किए जा चुके हैं। जिसपर पीड़िता के अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने पुरजोर विरोध जताकर न्यायालय से आग्रह किया कि SIT के वे अधिकारी अपना लिखित बयान न्यायालय के समक्ष दर्ज कराएं ताकि भविष्य में पुलिस द्वारा निर्दोष करार दिए जाने वाले आरोपियों के विरुद्ध सबूत मिलने पर उस SIT के अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके। पीड़िता के अधिवक्ता के आग्रह पर न्यायालय ने जॉच अधिकारी को बयान दर्ज कराने के आदेश दिए जाने पर भविष्य में पुलिस के उन अधिकारियों पर न्यायालय की कोई कार्यवाही न हो इस आशय से दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा है।

दरअसल पीड़िता के अधिवक्ता का आरोप है कि अन्य आरोपियों के खिलाफ सबूत है लेकिन SIT के अधिकारी द्वारा जानबूझकर छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। अदालत में 30 मिनट की सुनवाई में पुलिस को पुनः रिपोर्ट के साथ दस्तावेज पेश करने तथा आरोपियों पर आरोप तय करने के लिए 4 फरवरी की तारीख निर्धारित की है। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार काल्पनिक नाम के घर संत आसाराम बापू आए थे बापू ने परिवार के सदस्यों उनकी 10 वर्षीय भतीजी को आशीर्वाद दिया था उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाए गए वीडियो को प्रसारित किया था जिसके बाद परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अश्लील अवैध तरीके से प्रसारित किया गया था जिससे परिवार का मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में शिकायत दर्ज कराई थी इस मामले की पैरवी सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार व उनकी टीम करती आ रही है।