जी न्यूज के एंकर दीपक चौरसिया को हाईकोर्ट से बड़ा झटका,सभी याचिकाओं पर 11दिसंबर तक सुनवाई टली

दिल्ली: नाबालिग बच्ची की वीडियो को तोड़ मरोड़कर प्रसारित करने के मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में गत 6 जुलाई को zeenews के एंकर दीपक चौरसिया के विरुद्ध दर्ज एफ.आई.आर.को रद्द करने तथा गुरुग्राम के ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट की याचिका पर एक बार फिर 11 दिसंबर 2023 तक सुनवाई टल गई है। दीपक चौरसिया ने अपने वकील के माध्यम से न्यायालय के समक्ष तीन याचिकाएं दायर की थी,इन याचिकाओं में पहली याचिका FIR को रद्द करने,दूसरी याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन रहने तक निचली अदालत में प्रक्रिया को स्थगित करने तथा ट्रायल कोर्ट में व्यक्ति गत पेशी से छूट की मांग शामिल है। चौरसिया के वकील ने मामले में त्वरित सुनवाई के लिए एप्लिकेशन के द्वारा अर्जेंट सुनवाई के लिए गुहार लगाने के वाबजूद उच्च न्यायालय से कोई राहत नही मिली। जानकारी के अनुसार बीते 10 अप्रैल को भी याचिका पर सुनवाई करने से हाइकोर्ट ने इंकार कर दिया था। मामले की पैरवी करने वाले जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी याचिका पर बीते 10 अप्रैल को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दौरान सुनवाई नही होने के कारण न्यायालय ने 6 जुलाई की तारीख निश्चित की थी।

बहस की तैयारी नही किए जाने का हवाला देकर शॉर्ट डेट मांगने पर न्यायालय ने दी लंबी तारीख

सुनवाई के दौरान चौरसिया के वकील ने न्यायालय के समक्ष बहस के लिए तैयारी नही किए जाने का हवाला देकर शॉर्ट डेट की गुजारिश कर साथ ही 14 जूलाई को ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थिति से छूट की भी मांग की। जिस पर पीड़िता के अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने आपत्ति जताई और न्यायालय से कहा कि बिना बहस किए ट्रायल कोर्ट के समक्ष दीपक चौरसिया को पेशी से छूट देना कानूनन उचित नहीं होगा,जिसपर चौरसिया के वकील को न्यायालय ने पुनः बहस के लिए मौका दिया लेकिन उसके वावजूद चौरसिया के वकील ने बहस में तैयारी नही करने का हवाला दिया। जिसके बाद न्यायालय ने शॉट डेट की मांग को ठुकराकर 11 दिसंबर की तारीख मुकर्रर की है।

गौरतलब है कि गत 29 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट में दीपक चौरसिया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी। जिसमे हरियाणा सरकार से दीपक चौरसिया की याचिका पर जवाब मांगा गया था। जिसमें गुरुग्राम पुलिस द्वारा दीपक चौरसिया के विरुद्ध 2015 में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी। क्योंकि दीपक चौरसिया और उनके कुछ सहयोगी पत्रकारों पर 2013 में एक 10 वर्षीय बच्ची और उसके परिवार के संपादित‍ और अश्लील वीडियो प्रसारित करने और वीडियो को संत आशाराम बापू के मामले से जोड़ने का आरोप है। चौरसिया की ओर से दायर याचिका में यह कहा गया कि वह समाचार को प्रसारित करने के लिए जिम्मेदार नहीं थे और उनकी भूमिका केवल निर्देश देने तक ही सीमित थी। याचिकाकर्ता चैनल के दिन-प्रतिदिन के मामलों में शामिल नहीं था और वीडियो के संपादन में भी शामिल नहीं था। दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं था कि याचिकाकर्ता की कोई भूमिका रही है। यह भी आरोप लगाया गया कि एफ.आई.आर दर्ज कराने वाला शिकायतकर्ता संत आसाराम बापू का भक्त है। और आशाराम बापू से संबंधित समाचार प्रसारित करने के बदले में एक उल्टे मकसद के साथ मामला दर्ज किया गया है। गुरुग्राम पुलिस की ओर से दाखिल किए गए जवाब में FIR को रद्द नही करने को लेकर कई तर्क दिए गए,फिलहाल याचिका पर सुनवाई टलने से एक बार फिर दीपक चौरसिया को निराशा हाथ लगी है। सूत्रों के मुताबिक गुरुग्राम के पॉक्सो जिला अदालत में दीपक चौरसिया को बार बार पेशी की प्रक्रिया से गुजरना भी पड़ रहा है। इसी मामले में ट्रायल कोर्ट में आगामी 14 जुलाई को चौरसिया सहित आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय पर बहस होनी है। इसी मामले में चौरसिया को न्यायालय में पेश नही होने पर 2 बार अरेस्ट वारंट जारी किए जाने पर पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए हाइकोर्ट जाना पड़ा, हाईकोर्ट से कुछ ज्यादा राहत नही मिली,बल्कि 2 लाख रुपए का जुर्माना भी पड़ना पड़ा है।