धीरेंद्र शास्त्री की एकता यात्रा: मंदिरों और मस्जिदों में राष्ट्रगीत गायन की अपील

बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 21 नवंबर से “सनातनी एकता पदयात्रा” का शुभारंभ किया। यह यात्रा बागेश्वर धाम से शुरू होकर ओरछा तक जाएगी और कुल 160 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। शास्त्री जी का उद्देश्य हिंदू समाज में एकता को बढ़ावा देना और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना है।

यात्रा का उद्देश्य और संदेश

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस यात्रा को समाज में व्याप्त भेदभाव और जातिवाद को समाप्त करने का एक प्रयास बताया। उन्होंने कहा, “सनातनी एकता पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना है।”
उन्होंने मंदिरों में आरती के बाद राष्ट्रगीत गाने का प्रस्ताव रखते हुए कहा, “यह पहल देशभक्ति की भावना को मजबूत करेगी।” साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि मस्जिदों में भी राष्ट्रगीत का गायन होना चाहिए ताकि यह संदेश दिया जा सके कि पूरा देश एकता में विश्वास करता है।

धर्मांतरण पर शास्त्री का बड़ा बयान

धर्मांतरण के मुद्दे पर शास्त्री जी ने चिंता व्यक्त की और इसे एक गंभीर समस्या बताया। उनका मानना है कि धर्मांतरण रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है कि धार्मिक नेता उन लोगों तक पहुंचें और उन्हें कथा, उत्सव और अन्य सांस्कृतिक आयोजनों से जोड़ें। उन्होंने कहा, “राजनेता वोट बैंक के लिए उनके पास जाते हैं, लेकिन हमें अपने धर्म को बचाने के लिए जाना चाहिए।”

यात्रा में शामिल नेता और अनुयायी

“सनातनी एकता पदयात्रा” 21 से 29 नवंबर तक चलेगी। इस दौरान तेलंगाना भाजपा नेता टी. राजा सिंह और कई अन्य प्रमुख हस्तियों के भी शामिल होने की संभावना है। यात्रा के पहले दिन हजारों अनुयायियों को संबोधित करते हुए शास्त्री जी ने कहा, “हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए सड़कों पर उतरना जरूरी है। हमें समाज में एकता लानी होगी और भेदभाव को समाप्त करना होगा।”

सामाजिक एकता की ओर बड़ा कदम

धीरेंद्र शास्त्री ने इस यात्रा को हिंदू समाज में एकता की भावना जगाने और धार्मिक संघर्षों को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उनका मानना है कि अगर हिंदू समाज एकजुट रहेगा, तो किसी भी प्रकार के अत्याचार या भेदभाव का मुकाबला करना आसान होगा।

आगे की योजना

यात्रा के दौरान हजारों अनुयायी शास्त्री जी के साथ हैं, जो इस प्रयास में उनका समर्थन कर रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य न केवल समाज को जोड़ना है, बल्कि यह संदेश भी देना है कि एकता के बल पर किसी भी चुनौती का समाधान संभव है।