मॉर्फ वीडियो प्रसारित करने के मामले सभी 8 पत्रकार न्यायालय में हुए पेश,आरोप तय करने को लेकर बहस जारी, 29 जुलाई को फिर सुनवाई
गुरुग्राम: नाबालिका के वीडियो को तोड़मरोड़ कर प्रसारित करने के मामले में गत 14 जुलाई को सभी 8 आरोपी पत्रकार (दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी,अजीत अंजुम,सैयद सोहेल, राशिद,सुनील दत्त,ललित बडगुर्जर,अभिनव राज) न्यायालय में पेश हुए। इस बार भी सैयद सोहेल की ओर से अदालत में उसके वकील के द्वारा आरोप पत्र पर बहस की गई, परंतु अभी भी सभी तथ्यों पर पूरी सुनवाई नहीं हो सकी।
मामले में गत 14 जुलाई को भी आरोप तय पर बहस चलती रही। समय समाप्त होने के बाद शेष बहस के लिए अगली तारीख न्यायालय ने 29 जुलाई की तिथि तय की है।
माननीय न्यायालय की कार्यवाही में सैयद सोहेल की ओर से उनके अधिवक्ता ने उसका पक्ष रखते हुए बहस की, कि इस केस में पुलिस को वीडियो का कोई भी मूल स्त्रोत नही मिला है और अन्य दलीलें देकर सैयद सोहैल पर कोई भी जुर्म नही बनता है।
इसी दौरान अभियोजन पक्ष के समर्थन में पीड़िता पक्ष के अधिवक्ता श्री धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने अदालत के समक्ष अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा, कि कानून के अनुसार अभियुक्त सैयद सोहेल,दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी,अजीत अंजुम व अन्य आरोपियों पर,पुलिस द्वारा सबसे पहले कोर्ट में दायर किए गए आरोप पत्र के तहत सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप लगाया जाय,क्योंकि वीडियो को सीएफएसएल से मिलान पर पाया गया की मूल वीडियो में मीडिया के सभी आरोपियों ने साज-बाज होकर उसके साथ छेड़छाड़ किया है,और उसे तोड़ मरोड़ कर,बदनीयती के आशय से चलाया है,इसके अलावा अन्य आरोपों पर भी बहस की गई। जिसके बाद माननीय न्यायालय का समय अधिक होने पर इस मामले में 29 जुलाई को आगे की आरोप तय पर बहस की प्रक्रिया में रखा है।
दोनो पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा नोकझोंक पर पटाक्षेप करते हुए अधिवक्ताओं को अतरिक्त जिला जज श्री मति शशि चौहान ने यह कहा कि अभी तो दोनो पक्षों की ओर आरोप तय बहस की जा रही है। अदालती कार्रवाई शीघ्र पूरी होने में सभी को सहयोग देना चाहिए। अपनी बहस में धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने पीड़िता/अभियोजन पक्ष की ओर से आरोप पत्र में उल्लेखित किए गए सबूतों पर विस्तार से प्रकाश डाला। गत 14 जुलाई को न्यायालय में सुनवाई के दौरान एंकर दीपक चौरसिया मौजूद रहे। मामले की पैरवी करने वाली संस्था के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार गत 31 मई को चंडीगढ़ हाईकोर्ट से उपस्थिति से छूट पर राहत मिलने के बाद चौरसिया ट्रायल कोर्ट में पेश नहीं हुए थे। गत 14 जुलाई को ट्रायल कोर्ट में पेशी से छूट के लिए हाईकोर्ट में दायर अर्जी पर कोई राहत नही मिलने के कारण चौरसिया न्यायालय में पेश हुए।
मामले में वर्तमान समय में अभियोजन व मुलजिम, दोनो पक्षों के बीच का यह केस एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहां देश के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को उसके किए गए दुर्व्यवहार के कारण, देश के सभी जनमानस की नजरे इस समय माननीय न्यायलय पर लगी हुई है, की जिस प्रकार आम आदमी को उसके गुनाहों की सजा मिलती है, क्या माननीय न्यायलय मीडिया के खिलाफ आरोप तय कर मुकदमे को आगे चला कर एक गरीब मासूम बच्ची को न्याय दिलाने में क्या अपने कदम आगे बढ़ा पाएगा?।