उन्नाव कांड में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा पर लगाई रोक

उन्नाव कांड में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा पर लगाई रोक

नई दिल्ली:- उन्नाव बलात्कार प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनकी आपराधिक अपील लंबित रहने तक सजा को निलंबित करते हुए कड़ी शर्तों के साथ रिहाई का आदेश दिया है।

मंगलवार (23 दिसंबर) को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने सेंगर की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सजा पर रोक दी जा रही है, लेकिन आरोपी पर सख्त प्रतिबंध लागू रहेंगे। अदालत ने उन्हें 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की तीन जमानतें भरने के निर्देश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के निवास स्थान से पांच किलोमीटर की परिधि में प्रवेश नहीं करेंगे और अपील के अंतिम निस्तारण तक उन्हें दिल्ली में ही रहना होगा। साथ ही, अदालत ने यह भी शर्त रखी कि यदि अपील खारिज होती है तो सेंगर शेष सजा भुगतने के लिए स्वयं को प्रस्तुत करेंगे।

अदालत ने सेंगर को पीड़िता या उसकी मां से किसी भी प्रकार के संपर्क, दबाव या धमकी से सख्ती से प्रतिबंधित किया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा कराने और प्रत्येक सोमवार सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस थाने में हाजिरी लगाने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सेंगर की अपील और संबंधित आवेदनों को चीफ जस्टिस के निर्देशों के अधीन 15 जनवरी 2026 को रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी सेंगर को इस वर्ष दिल्ली के एम्स में मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। दिसंबर 2024 में भी उन्हें इसी प्रकार की अस्थायी राहत मिल चुकी है।

गौरतलब है कि कुलदीप सिंह सेंगर को उन्नाव जिले के माखी गांव में बलात्कार की घटना और पीड़िता के पिता की हत्या की साजिश रचने के मामले में दोषी ठहराया गया था। ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोप है कि यह अपराध पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया।

इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश से स्थानांतरित कर दिल्ली लाई गई थी। यह आदेश पीड़िता द्वारा तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र के बाद दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव कांड से जुड़े सभी पांच मामलों को लखनऊ से दिल्ली की तिहाड़ हजारी अदालत में स्थानांतरित करते हुए रोजाना सुनवाई और 45 दिनों में ट्रायल पूरा करने के निर्देश दिए थे।