जिले के सरकारी व निजी स्कूलों में 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाए जाने की मांग को लेकर सामाजिक संस्था जन जागरण मंच ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा है। संस्था का कहना है कि भारतीय सनातन संस्कृति प्रकृति, पर्यावरण और मानव जीवन के संरक्षण की भावना पर आधारित रही है, जिसमें तुलसी को विशेष स्थान प्राप्त है।
जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरि शंकर कुमार ने बताया कि तुलसी को भारतीय परंपरा में केवल एक औषधीय पौधे के रूप में नहीं, बल्कि पूजनीय और जीवनदायिनी स्वरूप में माना गया है। आयुर्वेद, पुराणों और शास्त्रों में तुलसी के धार्मिक, वैज्ञानिक, औषधीय और पर्यावरणीय महत्व का विस्तृत वर्णन मिलता है। तुलसी का पौधा वातावरण को शुद्ध करने, वायु में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने, ऑक्सीजन स्तर बढ़ाने और मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक माना जाता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में 25 दिसंबर को अधिकांश विद्यालयों में क्रिसमस से जुड़ी गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जबकि देश की बहुसंख्यक आबादी की सांस्कृतिक आस्था सनातन परंपराओं से जुड़ी हुई है। ऐसे में आवश्यक है कि विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण से भी जोड़ा जाए।
ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन से मांग की गई है कि जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों में 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही स्कूलों में तुलसी पौधारोपण, पूजन तथा तुलसी के वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक और सांस्कृतिक महत्व से संबंधित शैक्षणिक गतिविधियाँ आयोजित कराई जाएं, ताकि यह दिवस संस्कार, संस्कृति, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ मनाया जा सके।