वीडियो को तोड़ मरोड़कर प्रसारित मामले में पत्रकार दीपक चौरसिया,चित्रा त्रिपाठी,अजित अंजुम अन्य पांच को अदालत ने किया सम्मन जारी


दिल्ली: त्रकार दीपक चौरसिया, चित्रा त्रिपाठी,अजीत अंजुम, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, राशिद, ललित सिंह, सुनील दत्त,अभिनव राज जैसे तमाम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है. दरअसल एक मामले में पुलिस द्वारा पेश की गयी आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर दीपक चौरसिया सहित 7 लोगों को न्यायालय ने सम्मन जारी किया है ।
इस मामले के तहत साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पालम विहार थाना में दर्ज पोक्सो एक्ट के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया था. पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटी सामाजिक संस्था जन- जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार का कहना है कि उक्त मामले में कोई उम्मीद की किरण नही दिख रही थी, क्योंकि पुलिस द्वारा बार बार आरोपियों को बचाने के आशय से दो बार केस को बंद कर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल केर दी थी, जिसके बाद इस मामले को चंडीगढ़ उच्च न्यायालय में ले जाने के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर साथ ही न्यायालय की निगरानी वश पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा। इस मामले में आरोपी अजीत अंजुम, सुहेल, सुनील दत्त, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, चित्रा त्रिपाठी, राशिद, ललित सिंह आदि के खिलाफ गत 4 जनवरी को अभियोग का प्रथम चार्जशीट स्थानीय कोर्ट में दिया जा चूका था तथा आरोपी दीपक चौरसिया के खिलाफ अतिरिक्त चालान इसी साल 18 मार्च को कोर्ट में पेश किया गया जो न्यायालय में विचारधीन था, हरिशंकर ने यह भी बताया कि दीपक चौरसिया ने पुलिस को जाँच में कोई सहयोग नही करने को लेकर उनके ऊपर IPC की एक धारा अलग से लगाई है। इसके अलावा अन्य आरोपियों रविंद्र शर्मा व अन्य चार मुख्य आरोपी इंडिया न्यूज के डाइरेक्टर कार्तिकेय शर्मा, न्यूज 24 चैनल के डायरेक्टर श्री राजीव शुक्ला, गोपाल कांडा,श्रीमती अनुराधा के विरुद्ध जाँच जारी है, वहीं 2020 में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के समक्ष शिकायत कर्ता द्वारा एक प्रोटेस्ट पिटीशन भी दायर की गई थी जिसे पुलिस द्वारा जारी जाँच को देखते हुए पोटेस्ट पिटीशन की प्रक्रिया स्थगित कर दी है। फ़िलहाल यह मामला pocso कोर्ट में चल रहा है जिसमे आगामी तारीख 25 जनवरी 2022 है। अब आगे यह देखना लाजमी होगा कि सभी आरोपी न्यायालय के समक्ष पेश होते हैं या नही?
आपको बता दें कि पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को संत आसाराम बापू आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था
यह है पूरा मामला
इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी. आसारामबापू पर लगे आरोपों के बाद कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो का प्रसारण किया.। आरोपियों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम में पीड़िता पक्ष के परिवार को शिवा, शिल्पी (जो आशाराम बापू के केस में आरोपी) बताकर दिखाई गई साथ ही उस पीड़िता परिवार के घर को अश्लिल का अड्डा बताकर पेश किया गया । मामले को लेकर परिजनों का आरोप है कि उनकी और पूरे परिवार सहित आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ अभ’द्र और अश्लील तरीके से प्रसारित की थी. जिससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक और मानसिक कष्ट झेलना पड़ा। इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी. लेकिन यह मामला ठंडे बसते में चला गया था और पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी। लेकिन इस मामले में पीड़िता पक्ष को जनजागरण मंच जैसे अन्य संगठनों का साथ मिला जिसके कारण वर्तमान में पीड़ित पक्ष को अंततः न्याय के मंदिर (pocso न्यायालय) द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद नजर आने लगी है

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