भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए मातृ-पितृ पूजन दिवस का भव्य आयोजन
भागलपुर: भारतीय संस्कृति की रक्षा और परिवारिक मूल्यों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन शुक्रवार को जागृत युवा समिति के तत्वावधान में लाजपत पार्क में संपन्न हुआ। इस अवसर पर स्वामी आगमानंद महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति में माता-पिता को ईश्वर के समान माना गया है, लेकिन पाश्चात्य प्रभाव के कारण समाज में इस मूल भावना का क्षरण हो रहा है। ऐसे में इस तरह के आयोजनों को व्यापक रूप से बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
500 बच्चों ने माता-पिता की पूजा

यह कार्यक्रम भागलपुर में लगातार दसवें वर्ष आयोजित किया गया। इस दौरान 500 से अधिक बच्चों ने अपने माता-पिता का पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन दिलीप शास्त्री और संयोजन रोहित पांडेय ने किया। इस दौरान भगवान शिव-पार्वती, गणेश एवं श्रवण कुमार की झांकियों का भव्य प्रदर्शन किया गया, जबकि 30 फीट ऊँचा त्रिशूल आकर्षण का केंद्र बना।
मंत्री-विधायक की उपस्थिति में हुआ उद्घाटन
कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार, विधायक श्रेयसी सिंह, महापौर डॉ. वसुंधरा लाल सहित कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में हुआ। अन्य प्रमुख अतिथियों में अर्जित शाश्वत चौबे, डॉ. प्रीति शेखर, नभय कुमार चौधरी, गीतराज राजकुमार, पंडित ज्योतिन्द्राचार्य महाराज, अधिवक्ता राजीव सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
भजन संध्या के दौरान भजन सम्राट डॉ. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी ने संगीतमय प्रस्तुति दी, जिसमें माता-पिता की महिमा का गुणगान किया गया। वहीं, संदीप कुमार के नेतृत्व में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
मातृ-पितृ पूजन दिवस पर हवन और गोष्ठी का आयोजन
इसके अलावा सत्य सनातन वैदिक समाज, नाथनगर के तत्वावधान में चैती दुर्गा स्थान, मोहनपुर में हवन-यज्ञ और गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान संस्कार और संस्कृति विषय पर विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित राम प्रसाद वैदिक ने की, जबकि उद्घाटन जगतराम साह कर्णपुरी द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर जवाहरलाल मंडल, आशुतोष कुमार आशीष, प्रणव कुमार, महेंद्र आर्य, देवनंदन बाबा सहित कई लोग उपस्थित रहे।
2007 में हुई थी शुरुआत
कार्यक्रम के संयोजक प्यारे हिंद ने बताया कि 2007 में आसाराम बापू द्वारा मातृ-पितृ पूजन दिवस की शुरुआत की गई थी, जिसे आज देशभर में बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दिवस भारतीय संस्कृति और परिवारिक मूल्यों को पुनः स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।