वीडियो को अश्लील बनाकर कर प्रसारित करने के मामले में चित्रा त्रिपाठी,सैयद शोहेल, दीपक चौरसिया,अजीत अंजुम व अन्य आरोपी के साथ जांच अधिकारी न्यायलय में हुए पेश,जाँच अधिकारी को न्यायालय की फटकार

दिल्ली:नाबालिग की वीडियो को अश्लील बनाकर प्रसारित करने के मामले में 24 अगस्त को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री मती शशि चौहान की अदालत में सुनवाई हुई। इस मामले में 8 आरोपी चित्रा त्रिपाठी, दीपक चौरसिया,अजीत अंजुम सैयद सोहेल,अभिनव राज, सुनील दत,ललित सिंह, रासीद अदालत में पेश हुए। कोर्ट की कार्यवाही में आरोपियों के विरुद्ध चार्ज पर बहस होनी थी जो नही हो सकी। आरोपी मीडिया कर्मियों के वकील की तरफ से चार्ज पर बहस करने से पहले एक अर्जी लगाकर न्यायलय से पुलिस द्वारा फाइल की गई उस सीडी व डीवीडी की मांग की जिसमे आरोपी मिडियाकर्मियों द्वारा की गई अपराध को उस सीडी व dvd सबूत के रूप में पेश किया है। जिसपर न्यायालय ने आरोपियों के वकील को सीडी,डीवीडी उपलब्ध कराने की परमिशन ग्रांट कर दिया। बीते गत 20 जुलाई को माननीय न्यायालय ने जांच अधिकारी को उनके द्वारा फाइल की गई चार्जशीट की खामियों को दूर कर स्टेट्स रिपोर्ट के साथ पेश होने का आदेश दिया। जिसपर जॉच अधिकारी पालम विहार थानाधिकारी ने न्यायालय में पेश होकर अपनी रिपोर्ट पेश की। परंतु पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने जॉच अधिकारी द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर पूर जोर विरोध कर असहमति जताकर पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया। जिसके बाद पीड़िता के अधिवक्ता के दलील को सुनने के बाद न्यायलय ने जांच अधिकारी द्वारा अपनी रिपोर्ट में उन तथ्यों को सही रूप से प्रस्तुत नहीं किए जाने पर जॉच अधिकारी (sho) को फटकार लगाते हुए माननीय न्यायालय ने आगामी तारीख 23 सितंबर को सही से रिपोर्ट फाइल करने का निर्देश दिया है।

इस मामले की पैरवी कर रहे जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार का कहना है की अब कुछ उम्मीद बंधी है कि पीडि़ता को अदालत से न्याय मिल सकेगा। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद न्यूज़ 24,न्यूज़ नेशन, इंडिया न्यूज टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोडक़र अश्लील अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। साथ ही पीड़िता व उनके परिवार को दलाल, लड़की सप्लायर बताकर साथ ही उनके घर को गुफा कांड,अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया था। जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ा था। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार पुलिस थाना में 2013 में ज़ीरो FIR दर्ज कराई थी। ज़ीरो एफआईआर से पूर्ण एफआईआर दर्ज होने में दो वर्ष लग गए उसके बाद भी पुलिस द्वारा 2 साल तक कार्यवाही नही कर मामले को बंद कर दी गई थी। इस मामले में आरोपियों को बचाने हेतु गुरूग्राम पुलिस द्वारा भरसक प्रयास किया गया । लेकिन जब यह मामला हाइकोर्ट पहुँची और हाइकोर्ट ने संज्ञान लेकर अपनी निगरानी रखते हुए पुलिस को आदेशित करने पर मजबूरन पुलिस को कार्यवाही हेतु बाध्य होना पड़ा। जिसके बाद उपरोक्त आरोपियों के विरुद्ध 2020-21 में दाखिल की गई चार्जशीट में विभिन्न धाराओं 120b,469, 471,आईटी एक्ट 67 b, पोक्सों एक्ट 13c,14(1) 180 के तहत 10 साल की बच्ची और उनके परिवार के ‘संपादित’ व ‘अश्लील’ वीडियो दिखाने और उन्हें स्वघोषित बाबा आसाराम बापू के यौन उत्पीड़न मामले से जोड़ने के लिए नामित किया गया। दाखिल की गई चार्जशीट में पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों को गिरफ्तार करने से “कानून व्यवस्था” बिगड़ सकती है। जिस पोक्सों में पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी कर बाद में चार्जशीट पेश करनी चाहिए थी, ऐसे मामले में पुलिस ने बगैर गिरफ्तार किये ही चार्जशीट पेश की। जबकि दीपक चौरसिया ने पुलिस को जाँच में सहयोग भी नही किया। वर्तमान में मामला न्यायालय में हैं आगे जो भी होगा वह न्यायालय तय करेगी, लेकिन 9 साल बाद अब पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।