पत्रकार दीपक चौरसिया अन्य चार के विरुद्ध न्यायालय से वारंट जारी,मामला वीडियो को तोड़मरोड़कर कर प्रसारित करने का

दिल्ली: गुरुग्राम के पोक्सो जिला सत्र न्यायालय ने पत्रकार दीपक चौरसिया, ललित सिंह,सुनील दत्त,राशिद,अभिनव राज के विरुद्ध वारंट जारी किये है। इस मामले में पैरवी कर रहे जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर ने बताया कि पोक्सो के तहत दर्ज एक मामले में पुलिस द्वारा पेश आरोप पत्र पर बीते गत 14 दिसम्बर को न्यायालय ने संज्ञान लेकर दीपक चौरसिया सहित 8 लोगो को न्यायालय ने सम्मन जारी किये थे। जिसपर पुलिस के द्वारा दीपक चौरसिया सहित अन्य 5 ने सम्मन प्राप्त किया गया, परंतु सम्मन प्राप्त करने के वाबजूद उन सभी आरोपीयों ने न्यायालय के समक्ष पेश होना उचित ना समझा। जिस पर न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेश की अवमानना को लेकर इन सभी आरोपियों के विरुद्ध वारंट जारी किये है। तथा जिन तीन आरोपियों को पुलिस सम्मन रिसिभ नही करा पाई उन्हें न्यायालय ने पुनः सम्मन जारी किये हैं। पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयासों में जुटी संस्था के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार का कहना है कि यह मामला 2013 का है। जीरो FIR दर्ज होने के बाद पूर्ण FIR दर्ज होने में करीब दो साल पीड़िता पक्ष को इंतजार करना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2015 में पॉक्सो के तहत इस दर्ज मामले में गुरुग्राम पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नही करते हुए सभी आरोपियों को बचाने के आशय से सबूत होने के वाबजूद भी सबूतों का आभाव बताकर तीन बार केस को बंद कर दिया गया था। लेकिन संगठनों के सहयोग से जब पीड़ित परिवार ने चंडीगढ़ उच्च न्यायालय की तरफ रुख किया, तब उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर हरियाणा सरकार को फटकार लगाई और गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर को तलब किये जाने के आदेश के बाद मामले को अपने निगरानी में रखते हुए पुलिस को कार्यवाही करने के लिए बाध्य होना पड़ा। इस मामले में आरोपी अजीत अंजुम, सुहेल, सुनील दत्त, मोहम्मद सोहेल उर्फ शाहिद, चित्रा त्रिपाठी, राशिद, ललित सिंह आदि के खिलाफ 4 जनवरी को अभियोग का प्रथम चार्जशीट स्थानीय कोर्ट में दी गई थी। आरोपी दीपक चौरसिया के खिलाफ अतिरिक्त चालान बाद में कोर्ट में पेश किया गया। दीपक चौरसिया पर पुलिस को जाँच में सहयोग न करने से संबंधित IPC की एक अन्य धारा अलग से लगाई गई है। इसके अलावा अन्य आरोपियों रविंद्र शर्मा, कार्तिकेय शर्मा, राजीव शुक्ला, गोपाल कांडा, अनुराधा प्रसाद के विरुद्ध पुलिस साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है और जाँच जारी है।
क्या है पूरा मामला
पालम विहार थाना क्षेत्र में रहने वाले सतीश कुमार (बदला हुआ नाम) के घर पर वर्ष 2013 की 2 जुलाई को आसारामबापू आए थे. इस दौरान उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों के साथ उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। इस दौरान सतीश के घर हुए इस कार्यक्रम की वीडियोग्राफी भी की गई थी। आसारामबापू पर लगे आरोपों के बाद कई टीवी चैनलों और पत्रकारों ने इसी वीडियो का प्रसारण किया था। आरोपियों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम में पीड़िता पक्ष के परिवार को शिवा, शिल्पी (जो आशाराम बापू के केस में आरोपी) बताकर साथ ही उस परिवार के घर को अश्लीलता का अड्डा बताकर पेश किया गया था। मामले को लेकर परिजनों का आरोप है कि उनकी और पूरे परिवार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मीडिया ने वीडियो को तोड़ मरोड़ कर अभद्र व अश्लील तरीके से प्रसारित किया। इससे परिवार और मासूम बच्ची को सामाजिक व मानसिक कष्ट झेलना पड़ता रहा है। इसी के बाद परिजनों ने पालम विहार थाने में मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। पुलिस आरोपियों पर कार्रवाई करने में कतरा रही थी। लेकिन इस मामले में पीड़िता पक्ष को जनजागरण मंच जैसे अन्य संगठनों का साथ मिला जिसके कारण वर्तमान में पीड़िता पक्ष को अंततः न्याय के मंदिर (pocso न्यायालय) द्वारा न्याय मिलने की उम्मीद नजर आने लगी है। आगे यह देखना लाजमी होगा कि 7 फरवरी को आरोपी पत्रकारों को पुलिस वारंट के तहत पेश कराती है या नही?

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