टीवी चैनल के एंकरों द्वारा मॉर्फ वीडियो प्रसारित करने के मामले में पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोर्ट ने किया गिरफ्तारी वारंट जारी

मॉर्फ वीडियो को प्रसारित करने के मामले में गत 16 अप्रैल को पॉक्सो की अदालत में सुनवाई हुई। जिसमे चित्रा त्रिपाठी,दीपक चौरसिया, अजीत अंजुम,सैयद सोहेल समेत सभी आरोपी अपने अधिवक्ताओं के साथ पेश हुए। अभियोजन पक्ष ने कुछ गवाहों की गवाहियां भी कराई। अन्य गवाहों की गवाही के लिए अदालत ने अगली तारीख 6 जून निश्चित कर दी गई है।

पीड़िता के अधिवक्ता धर्मेंद्र कुमार मिश्रा व इस मामले की पैरवी कर रही सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार ने बताया की अदालत मे गवाही देने के लिए पेश नहीं होने पर 2 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए थे। जिनमें से एक पुलिस अधिकारी ने इस मामले में अदालत में पेश होकर अपने बयान दर्ज कराए और जो अधिकारी अदालत में पेश नहीं हो सका,उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी रखते हुए अदालत ने अगली तारीख पर पेश होने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं। तथा जिन पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कोर्ट ने सम्मन जारी किया था,उन अधिकारियों के पेश नहीं होने पर,इन सभी के विरुद्ध बेलेबल वारंट जारी किए हैं। पीड़िता पक्ष का कहना है कि पुलिस के अधिकारी ने अपने बयान में बताया कि जीरो एफआईआर के समय शिकायतकर्ता द्वारा दी गई मूल शिकायत रिकॉर्ड में नहीं है। धर्मेंद्र मिश्रा ने अदालत से कहा कि आरोपियों को बचाने के लिए ही यह सब किया गया है। इस संबंध में उन्होंने अदालत में एक अर्जी भी दायर की और अदालत से मांग की कि इस मामले के जांच अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। क्योंकि उन्होंने साक्ष्यों को नष्ट करने की कार्यवाही की है। उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। जिसपर कोर्ट ने तत्कालीन sho को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अदालत ने अब इस मामले की सुनवाई के लिए आगामी 6 जून की तारीख निर्धारित कर दी है। उधर आरोपी दीपक चौरसिया के अधिवक्ता ने पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय का एक आदेश भी अदालत में प्रस्तुत किया। जिसमें दीपक चौरसिया को जिला अदालत में चल रहे इस मामले में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी गई है। पीड़िता के अधिवक्ता का कहना है कि उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। इस दिशा में कार्य शुरु कर दिया गया है। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आसाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को भी आशीर्वाद दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आसाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आसाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडियो को तोड़-मरोड़कर के अलावा अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था। इस मामले की पैरवी सामाजिक संस्था जन जागरण मंच के अध्यक्ष हरिशंकर कुमार व उनकी टीम करती आ रही है